साधना से परब्रह्म की प्राप्ति संभव : डॉ. पण्ड्या
हरिद्वार,16 अप्रैल (हि.स.)। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि प्रभु श्रीराम शबरी को उपदेश देते हुए कहते हैं कि दृढ़ विश्वास के साथ जप साधना करना, मेरी भक्ति में से एक है। यह भक्ति नवधा भक्ति के केन्द्र में स्थित है। जिस प्रकार शरीर का प्रत्येक अंग अवयव उपयोगी है, पर प्राण के बिना वह सक्रिय नहीं रहता। उसी प्रकार पाँचवीं नवधा भक्ति, भक्ति रूपी कलेवर का प्राण है।
डॉ. पण्ड्या श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योगसाधना के नौ सोपान विषय पर आधारित सत्संग शृंखला के आठवें दिन साधकों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सच्चे मन से की गई साधना द्वारा परब्रह्म की प्राप्ति संभव है। नवरात्र के दिनों में गायत्री साधना करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मन के द्वेष, भय जैसे नकारात्मक चीजों का अंत होता है। इस मंत्र के जप से मनुष्य मानसिक तौर पर जागृत हो जाता है और जाग्रत व्यक्ति ही परिवार, समाज व राष्ट्र की सेवा कर सकता है।
डॉ. पण्ड्या ने श्रीरामरामचरित मानस में प्रभु श्रीराम व शबरी संवाद, गरुड़ और काकभुशुण्डि संवाद का सुन्दर प्रस्तुतिकरण करते हुए नवधा भक्ति के गुणों को अपने व्यावहारिक जीवन में अपनाने के लिए कहा।
इस अवसर पर देश-विदेश से आये साधकों सहित शांतिकुंज एवं देवसंस्कृति विवि परिवार के अनेकानेक साधक उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थानसमाचार/रजनीकांत/रामानुज
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