लोकल फॉर वोकल : देहरादून में लगेगा राष्ट्रीय सरस मेला, लोक संस्कृति की झलक के साथ सजेंगे देशभर के उत्पादों के स्टाल
- सरस मेले में देश भर से जुटेंगे स्वयं सहायता समूह, खुलेगी आत्मनिर्भरता की राह
- मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बिखरेंगे रंग, कलाकार सजाएंगे सुरों की शाम
देहरादून, 7 अक्टूबर (हि.स.)। आत्मनिर्भर भारत और लोकल फॉर वोकल थीम पर महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने व लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थानीय रेंजर्स ग्राउंड पर 18 से 27 अक्टूबर तक 10 दिवसीय राष्ट्रीय सरस मेले का आयोजन किया जाएगा। मेले में देशभर के विभिन्न राज्यों के प्रसिद्ध उत्पाद खरीदने के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेने का मौका मिलेगा। इसमें उत्तराखंड समेत देशभर से आए स्वयं सहायता समूह प्रतिभाग करेंगे, जहां ये समूह अपने स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करेंगे।
सरस मेला आयोजन के लिए अधिकारियों की समिति बनाकर दायित्व सौंपे गए हैं। साथ ही प्रत्येक दिन गोष्ठी एवं कार्यशाला के लिए प्रभारी अधिकारी नामित किए गए हैं, जो अलग-अलग दिन आयोजित गोष्ठी-कार्यशाला के प्रभारी होंगे। मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने गठित समिति के सदस्यों को आपस में समन्वय बैठक कर मेले के सफल आयोजन की तैयारी की कार्यवाही से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं। मुख्य विकास अधिकारी ने समिति के सदस्यों एवं नामित अधिकारियों को उनके कार्यों एवं दायित्वों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए आपसी समन्वय से दायित्वों का निर्वहन करने के निर्देश दिए। उन्होंने पुलिस, पेयजल, विद्युत, संस्कृति, स्वास्थ्य सहित विभागीय अधिकारियों को समस्त तैयारियां ससमय पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने बताया कि सरस मेले में स्वयं सहायता समूहों के प्रतिभागी, दस्तकार, हस्तकला कारीगर स्टाल लगा अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने के साथ उनका विक्रय भी करेंगे। साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक दल सुरों की शाम सजाएंगे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रंग बिखेरेंगे। इसमें लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। कार्यक्रम को दिव्य बनाने के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया गया है, जिनमें वीआईपी समिति, स्वास्थ्य समिति, प्रचार-प्रसार समिति, सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति, वाहन व्यवस्था समिति, पेयजल, विद्युत, स्वच्छता, अग्नि, यातायात, स्वागत एवं आमंत्रण समिति, आवास व्यवस्था समिति सहित कुल 24 समिति के सदस्यों को नामित किया गया है। इसके अलावा दैनिक कार्यक्रम के अनुसार मेला गतिविधियों के संचालन के लिए 10 दिवस प्रभारियों की नियुक्ति भी की गई है, जो प्रतिदिन मेला स्थल पर रहेंगे और समितियों के साथ समन्वय बना प्रतिदिन की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
कारीगरों के लिए ग्राहकों से बातचीत करने का बेहतरीन अवसर है सरस मेला
भारत एक विविधतापूर्ण देश है और यह बात ग्रामीण क्षेत्र के लिए भी सच है। ग्रामीण जीवन शैली में बढ़ती रुचि के साथ अगर आप ग्रामीण घरों में इस्तेमाल की जाने वाली अनूठी कलाकृतियों और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की तलाश कर रहे हैं तो सरस (ग्रामीण कारीगर समाज की वस्तुओं की बिक्री) मेला आपके लिए एकदम सही जगह है। इसमें पहाड़ी उत्पाद समेत बहुत कुछ शामिल है। इन वस्तुओं का पुराना आकर्षण बेमिसाल है और ये उपयोगिता और पैसे के हिसाब से मूल्य प्रदान करते हैं। सरस मेला ग्रामीण कारीगरों के लिए शहरी ग्राहकों से बातचीत करने का एक बेहतरीन अवसर है। मेले में आपको वाजिब दामों पर प्रामाणिक सामान मिलने की गारंटी होती है। बेचने वालों के लिए दूसरा फायदा यह है कि मेले में बिचौलियों की जरूरत नहीं होती और विक्रेताओं को रियायती दरों पर स्टॉल और अन्य जीवनयापन के खर्च मिलते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण
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