नाजिम की हत्या में, 5 वर्ष बाद न्यायालय ने प्रेमिका सहित दो को सुनाई उम्रकैद की सजा
नैनीताल, 22 दिसंबर (हि.स.)। जनवरी 2020 में हुए भीमताल थाना क्षेत्र में भीमताल-रानीबाग राज्य मार्ग पर चंदा देवी के पास सड़क पर नाजिम अली नाम के व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। अब इस बहुचर्चित मामले में न्यायालय ने पांच वर्ष बाद बड़ा फैसला सुनाते हुए उसकी प्रेमिका अमरीन जहां और राधेश्याम वाल्मीकि नाम के व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुना दी है।
न्यायालय ने माना है कि यह हत्या पैसे के विवाद से जुड़ी, सुनियोजित और आपराधिक साजिश के तहत की गई थी।
न्यायालय में प्रस्तुत साक्ष्यों के अनुसार नाजिम और अमरीन के बीच प्रेम संबंध थे। लेकिन नाजिम का निकाह तय हो जाने के बाद नाजिम ने आर्थिक मदद देनी बंद कर दी थी, जिससे नाराज होकर अमरीन ने राधेश्याम के साथ मिलकर नाजिम की हत्या की योजना बनाई। नाजिम को भीमताल घूमने के बहाने बुलाया गया और चंदा देवी के पास राधेश्याम ने नाजिम की 315 बोर के तमंचे से नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने कॉल डिटेल रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज और फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर इस ब्लाइंड मर्डर का खुलासा किया था।
सोमवार को सजा के प्रश्न पर दोनों दोषियों को सुना गया। बचाव पक्ष ने नरमी की मांग की, जबकि अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार शर्मा ने 16 गवाह न्यायालय के समक्ष पेश करते हुए इसे ठंडे दिमाग से की गई जघन्य हत्या बताते हुए कड़ी सजा की पैरवी की। बताया कि हत्या से पहले नाजिम और अमरीन स्कूटी पर साथ बैठे थे। हत्यारे में उनकी साथ बैठी तस्वीरें भी अपने मोबाइल कैमरे में कैद की। अलबत्ता इन दलीलों के बाद भी न्यायालय ने कहा कि यह मामला ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए मृत्युदंड के बजाय उम्रकैद की सजा ही उपयुक्त है।
न्यायालय ने अमरीन जहां व राधेश्याम वाल्मीकि कोे भारतीय दंड संहिता की धारा 302 व 120बी के तहत आजीवन कारावास और 20-20 हजार रुपये जुर्माने की और राधेश्याम को असलहा अधिनियम की धारा 25 के तहत तीन वर्ष का कठोर कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसके साथ ही अदालत ने पीड़ित परिवार को मुआवजा देने के निर्देश देते हुए जुर्माने की राशि में से 40 हजार रुपये नाजिम के परिजनों को देने तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल को उत्तराखंड पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत अतिरिक्त सहायता पर विचार करने के आदेश भी दिए हैं। दोषियों को सजा दिलाने में में भीमताल के तत्कालीन थाना प्रभारी कैलाश जोशी द्वारा की गयी विवेचना की बड़ी भूमिका रही है।
न्यायालय के आदेश में कुरान एवं मनु स्मृति का भी किया गया जिक्र
न्यायालय ने अपने आदेश में कुरान एवं मनु स्मृति का भी जिक्र किया है। आदेश में लिखा गया है-कुरान में कहा गया है कि इस्लाम में हत्या को सबसे बड़े पापों में से एक माना जाता है। ‘जो कोई किसी निर्दोष आत्मा को मारता है, उसने मानो सारी मानवता को मार डाला है।’ वहीं मनुस्मृति के अध्याय 5 के श्लोक 45 में कहा गया है, ‘सजीवनश्च मृतश्चय न क्वचित्सुखमेधते।’ यानी जो व्यक्ति निजी सुख के लिए निर्दोष प्राणियों की हत्या करता है या उन्हें नुकसान पहुंचाता है, चाहे वह जीवित हो या मृत, उसे कभी खुशी नहीं मिलती है।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

