वक्फ बोर्ड के नाम पर भड़काने से बाज आएं मुस्लिम नेता : डॉ.अली

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वक्फ बोर्ड के नाम पर भड़काने से बाज आएं मुस्लिम नेता : डॉ.अली


देहरादून, 01 मई (हि.स.)। वक्फ संशोधन आज ज्वंलत मुद्दा बना हुआ है। इस कानून से उन लोगों की रोजी रोटी छिन रही है जो इसका दुरूपयोग करते थे। यही कारण है कि वक्फ संशोधन कानून के संदर्भ में जनजागरण की आवश्यकता पड़ रही है और तमाम समाजसेवी संगठन इस संदर्भ में जनजागरण को निकल पड़े हैं।

ऐसे ही लोगों में एक नाम वक्फ सुधार जनजागरण अभियान की प्रमुख समाजसेवी और इस्लामिक विद्वान डॉ. शालिनी अली का है जिन्होंने नदीम जैदी के साथ वृहस्पतिवार हरिद्वार रोड स्थित एक होटल में पत्रकार वार्ता की। वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसरन) विधेयक पर वार्ता करते हुए डॉ. शालिनी अली ने कहा कि असदुद्दीन अवैसी जैसे लोग मुस्लिम समाज को जागरूक करने के स्थान पर गुमराह कर रहे हैं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कुछ क्षेत्रों में किया गया बत्ती गुल का आह्वान है जिसमें मुस्लिम समाज के लोगों ने कुछ देर के लिए अपने घरों की बत्तियां बुझा कर रखी। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। देश एक था और है और रहेगा। डा. शालिनी अली ने कहा कि वक्फ संशोधन निरंतर होता रहा है लेकिन पिछली सरकारों ने केवल वक्फ माफियाओं को मजबूत किया जबकि वर्तमान सरकार गरीबों, मजलूमों, विधवाओं और महिलाओं को मजबूत कर रही है।

डॉ. शालिनी अली ने कहा कि वक्फ अल्लाह के नाम पर किया गया दान है लेकिन इसका उपयोग शिक्षा, समाज जागरण, विधवाओं और गरीबों के लिए नहीं किया जा रहा है, यही सरकार के लिए चिंता का विषय था और सरकार ने आम आदमी के हित का निर्णय लेकर आम आदमी को मजबूत बनाने का काम किया है लेकिन वक्फ के नाम पर कुछ नेता सरकार को गुमराह कर रही है जबकि मुसलमान कौमका नौजवान, बुजुर्ग वक्फ की वास्तविकता को जानता है। वर्तमान में रेलवे और सेना के बाद सबसे बड़ी संपत्ति वाला वक्फ बोर्ड गरीबों के लिए कुछ नहीं कर रहा है। अब इसमें पारदर्शिता लाने के लिए सरकार कार्य कर रही है लेकिन यह उन लोगों को हजम नहीं हो रहा है जो इसे कमाई का साधन मानते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राम प्रताप मिश्र

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