काश्तकारों के लिए संजीवनी साबित हो रही मशरूम की खेती

काश्तकारों के लिए संजीवनी साबित हो रही मशरूम की खेती
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काश्तकारों के लिए संजीवनी साबित हो रही मशरूम की खेती


गोपेश्वर, 12 जनवरी (हि.स.)। चमोली जिले में उद्यान विभाग की ओर से जिला योजना के माध्यम से किया जा रहा मशरूम का उत्पादन काश्तकारों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। जिले में विभाग की ओर से 37 काश्तकारों और सात महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। काश्तकारों के अनुसार तीन माह में उन्होंने करीब 1300 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन कर तीन लाख से अधिक की आय अर्जित कर ली है।

जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने बताया कि बीते अक्टूबर माह में जिला योजना से 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर 37 काश्तकारों और सात महिला समूहों को 130 क्विंटल खाद और बीज उपलब्ध करवाया गया। जिसके बाद काश्तकारों को मशरूम उत्पादन का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने बताया कि वर्तमान तक योजना के अनुसार कार्य कर रहे काश्तकार करीब 1300 किलोग्राम मशरूम का विपणन कर तीन लाख से अधिक की आय अर्जित कर चुके हैं।

क्या कहते हैं काश्तकार

गोपेश्वर के नैग्वाड़ क्षेत्र में महिला समूह की सदस्य नंदी राणा ने बताया कि उन्होंने विभागीय योजना का लाभ लेते हुए मशरूम का उत्पादन किया। जिससे समूह ने 30 हजार की शुद्ध आय अर्जित कर ली है।

रौली गांव की लक्ष्मी देवी का कहना है कि मशरूम की खेती कम मेहनत में बेहतर व्यावसायिक लाभ देने वाली फसल है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर माह से वर्तमान तक वह करीब 40 हजार की मशरूम का विपणन कर चुके हैं।

कैसे की जाती है मशरूम की खेती

मशरूम की खेती के लिए ठंडे कमरे के साथ ही स्टैंड की जरूरत होती है। जिसमें बैग तैयार कर उसमें बीज डालकर सुगमता से मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है। मशरूम उत्पादन के लिए धूप और ऊष्मा की आवश्यकता नहीं होती।

हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश/वीरेन्द्र

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