प्रदेश में वर्ष 2023 की तुलना में अब तक दोगुने से अधिक वन जले

प्रदेश में वर्ष 2023 की तुलना में अब तक दोगुने से अधिक वन जले
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प्रदेश में वर्ष 2023 की तुलना में अब तक दोगुने से अधिक वन जले


देहरादून, 28 अप्रैल (हि.स.)। उत्तराखंड के जंगलों की आग सरकार के लिए चिंता का कारण बन रही है। प्रदेश के कुल 53483 किलोमीटर क्षेत्रफल में 38 हजार किलोमीटर वन भूमि है। वनों की आग ने समस्या को काफी बढ़ा दिया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार दोगुने से अधिक वन जले हैं।

वर्ष 2023 की तुलना में वर्ष 2024 में आग की घटनाएं बढ़ी हैं। इसका कारण वैश्विक गर्मी के साथ-साथ उत्तराखंड में मौसम का परिवर्तन भी है। उत्तराखंड के दो महीने के औसत का आकलन किया जाए और मार्च, अप्रैल की आंकड़े देखे जाएं तो पता चलता है कि अल्मोड़ा में 2023 में 299, बागेश्वर में 75, चमोली में 99, चंपावत में 120, देहरादून में 48, गढ़वाल में 378, हरिद्वार में 42, नैनीताल में 207, पिथौरागढ़ में 213, रुद्रप्रयाग में 31, टिहरी गढ़वाल में 115, ऊधमसिंह नगर में 183 और उत्तरकाशी में 40 घटनाएं घटी थीं। इस बार अभी तक 2024 में अल्मोड़ा में 999, बागेश्वर में 224, चमोली में 293, चंपावत में 1025, देहरादून में 62, गढ़वाल में 742, हरिद्वार में 25, नैनीताल में 1524, पिथौरागढ़ में 615, रुद्रप्रयाग में 117, टिहरी गढ़वाल में 380, ऊधमसिंह नगर में 290 और उत्तरकाशी में 89 घटनाएं घटी हैं।

2023 में मार्च में कुल 804 घटनाएं घटी थीं जो 2024 में बढ़कर अभी तक 585 हो गई हैं। इसी क्रम में अप्रैल 2023 में 1046 घटनाएं घटी थीं। 2024 में बढ़ कर मार्च में 585, अप्रैल में 5710 घटनाएं घट गई हैं। हरिद्वार को छोड़कर, उत्तराखंड के सभी जिलों में मार्च और अप्रैल महीने में 2023 की तुलना में 2024 में आग की घटनाओं में वृद्धि हुई है। आरोही क्रम में नैनीताल, चंपावत, अल्मोडा, गढ़वाल और पिथौरागढ़ सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र हैं। अप्रैल महीने में दोनों वर्षों (2023 और 2024) में मार्च की तुलना में अधिक आग की घटनाएं हुईं, लेकिन इस वर्ष (2024) में आग की घटनाएं बहुत अधिक हैं।

इस संबंध में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षण पर्यावरण कपिल कुमार जोशी का कहना है कि कई प्रतिकूल परिस्थितियां हैं जो उत्तराखंड में जंगल की आग का कारण बनती हैं। जितनी प्रतिकूल परिस्थितियां होती हैं। जंगल में आग लगने की घटनाएं उतनी ही अधिक होती हैं। प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियां जैसे आर्द्रता का स्तर, लंबे समय तक शुष्क दौर, उच्च तापमान, हवा की दिशा और वर्षा का समय सभी योगदान करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में बदलती जलवायु परिस्थितियों ने प्रतिकूल परिस्थितियों को बढ़ा दिया है।

मुख्य वन संरक्षण पर्यावरण कपिल जोशी ने कहा कि यह भी सच है कि जंगलों में आग लगना इस क्षेत्र के लिए एक सामान्य घटना है। तकनीकी प्रगति ने पिछले कुछ वर्षों में इन जंगल की आग का तुरंत और सटीक रूप से पता लगाने में मदद की है, इसलिए अधिक घटनाएं दर्ज की गई हैं और हम आग को नियंत्रित करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज

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