उत्तराखंड में अपनी पहली जनसभा के लिये नैनीताल आये थे मोदी, तभी दिख गयी थी मोदी में भविष्य के प्रधानमंत्री की छवि
-अपनी फायरब्रांड हिन्दूवादी नेता की छवि के विपरीत की थी गुजरात के विकास की बात
-यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स एलाइंस’ और सोनिया, राहुल व प्रियंका गांधी के लिए किया था ‘एसआरपी’ शब्द का प्रयोग
नैनीताल, 02 अप्रैल (हि.स.)। ‘अब की बार 400 पार’ के नारे के साथ तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने के लिए मंगलवार को रुद्रपुर के ‘मोदी मैदान’ में पांचवी बार चुनावी जनसभा को संबोधित किया। ‘नीयत सही तो नतीजे सही’ और तीसरे कार्यकाल के मुकाबले अपने अब तक के 10 वर्ष के कार्यकाल को महज ‘ट्रेलर’ बताते हुए आगे और भी बड़े कार्य करने के लिये राज्य की जनता से और भी बड़ा जनसमर्थन मांगा। अतीत की बात करें तो नैनीताल ही है, जहां मोदी ने उत्तराखंड में अपनी पहली चुनावी जनसभा की थी। मोदी में तभी दिख गयी थी भविष्य के प्रधानमंत्री की छवि। मोदी वर्ष 2009 में छह मई को लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार बची सिंह रावत के प्रचार के लिए नैनीताल आए थे।
घोषित भावी प्रधानमंत्री आडवाणी की जगह भविष्य के प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अधिक उत्सुक थे लोग
नैनीताल में उस दौर की जनसभाओं के लिहाज से पहली बार 6 मई 2009 को डीएसए मैदान में हुई उस चुनावी जनसभा में भारी भीड़ उमड़ी थी। लोग भाजपा के तत्कालीन ‘पीएम इन वेटिंग’ प्रधानमंत्री पद के घोषित उम्मीदवार लाल कृष्ण आडवाणी की जगह ‘पीएम इन फ्यूचर’ यानी भविष्य के प्रधानमंत्री मोदी को लेकर अधिक उत्सुक थे और उनके मुखौटे चेहरों पर लगा कर रैली में आए थे। साफ था कि तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी मोदी तभी से आज के दिन की तैयारी कर रहे थे।
तब विकास का मतलब था गुजरात-
उनके भाषण में तब गुजरात का विकास पूरी तरह से छाया हुआ था। अपनी रौ में मोदी ने यहां जो कहा, उसमें विकास का मतलब ‘गुजरात’ हो गया था और यूपीए सरकार के साथ ही एनडीए काल की ‘दिल्ली’ भी मानो कहीं गुम हो गई थी। उन्होंने यहां आडवाणी का नाम भी केवल एक बार उनके (आडवाणी के द्वारा) तत्कालीन प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को कमजोर कहने के एक संदर्भ के अलावा कहीं नहीं लिया था।
नैनीताल के ऐतिहासिक डीएसए फ्लैट्स मैदान में हुई उस जनसभा में मोदी अपने भाषण में पूरी तरह गुजरात केंद्रित हो गए थे। उनकी आवाज में यह कहते हुए गर्व था कि कभी व्यापारियों का माना जाने वाला गुजरात उनकी विकास परक सरकार आने के बाद से न केवल औद्योगिक क्षेत्र में वरन बकौल उनके एक अमेरिकी शोध अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर खारे पानी के समुद्र और रेगिस्तान से घिरा गुजरात कृषि क्षेत्र में वृद्धि के लिए भी देश में प्रथम स्थान पर आ गया है। उन्होंने बताया था, गरीबों के हितों के लिए चलाए जाने वाले 20 सूत्रीय कार्यक्रमों में गुजरात नंबर एक पर रहा है। साथ ही सूची में प्रथम पांच स्थानों पर भाजपा शासित और प्रथम 10 स्थानों पर एनडीए शासित राज्य ही हैं। एक भी कांग्रेस शासित राज्य नहीं है। इन आंकड़ों के जरिए उन्होंने पूछा कि ऐसे में कैसे ‘कांग्रेस का हाथ गरीबों व आम आदमी के साथ’ हो सकता है। उल्लेखनीय है कि तब कांग्रेस ‘कांग्रेस का हाथ गरीबों व आम आदमी के साथ’ का नारा लगाती थी।
पाकिस्तानी घुसने की हिम्मत नहीं कर सकते-
नैनीताल की जनसभा में मोदी ने गुजरात की कांग्रेस शासित राज्य आसाम से भी तुलना की। उन्होंने कहा कि दोनों राज्य समान प्रकृति के पड़ोसियों बांग्लादेश और पाकिस्तान से सटे हैं। आसाम के मुसलमान परेशान हैं कि वहां भारी संख्या में हो रही बांग्लादेशियों की अवैध घुसपैठ से उन्हें काम और पहले जैसी मजदूरी नहीं मिल रही। यूपीए नेता घुसपैठियों को वोट की राजनीति के चलते नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तानी गुजरात में घुसने की हिम्मत करना तो दूर उनसे (मोदी से) डरे बैठे हैं। हालांकि मोदी को इस दौरान पूर्व की एनडीए सरकार की कोई उपलब्धि बताने के लिए याद नहीं आई, पर उन्होंने उत्तराखंड की तत्कालीन भुवन चंद्र खंडूड़ी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की तारीफ अवश्य की। उन्होंने कहा कि एकमात्र विकास ही देश को बचा सकता है। अलबत्ता यहां मोदी अपनी फायरब्रांड और कट्टर हिंदूवादी नेता की पहचान के अनुरूप एक शब्द भी नहीं बोले, जिससे सुनने वालों में थोड़ी बेचैनी भी देखी गई थी।
शब्दों को विस्तार देने की कला भी दिखाई थी-
इसके अलावा मोदी शब्दों को अलग विस्तार देने व अलग अर्थ निकालने की कला भी नैनीताल में दिखा गए थे। उन्होंने यूपीए को ‘अनलिमिटेड प्राइममिनिस्टर्स एलाएंस’ यानी ‘असीमित प्रधानमंत्रियों का गठबंधन’ करार दिया था। कहा कि शरद पवार, लालू यादव व रामविलास पासवान सहित यूपीए के सभी घटक दलों के नेता प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के बजाय स्वयं को भावी प्रधानमंत्री बता रहे हैं, और दूसरी ओर गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस के एक भी वरिष्ठ नेता ने डॉ. सिंह का नाम प्रधानमंत्री के रूप में नहीं लिया है। उन्होंने गांधी परिवार के लिए ‘एसआरपी’ (सोनिया, राहुल व प्रियंका ) शब्द का प्रयोग करते हुए पूछा, क्या एसआरपी ही देश का अगला प्रधानमंत्री तय करेंगे ?
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ.नवीन जोशी/रामानुज
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