वनाग्नि मामले में हुई कार्रवाई पर भाजपा विधायक ने उठाए सवाल

वनाग्नि मामले में हुई कार्रवाई पर भाजपा विधायक ने उठाए सवाल
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वनाग्नि मामले में हुई कार्रवाई पर भाजपा विधायक ने उठाए सवाल


- मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

देहरादून, 09 मई (हि.स.)। लैंसडाउन विधायक महंत दलीप रावत ने वनाग्नि मामले में वन कर्मचारियों पर हुई कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर कहा है कि छोटे कर्मचारियों को निशाना बनाया गया, जिन्हें तनख्वाह भी समय से नहीं मिलती। जिम्मेदार अफसर लापरवाह बने हैं। उन्होंने निचले कर्मियों के विरुद्ध हुई कारवाई पर दोबारा मंथन की मांग की है।

लैंसडाउन विधायक ने पत्र में लिखा है कि मुझे समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि उत्तराखंड में फैली भीषण आग को नियंत्रित न करने के संबंध में कुछ निचले कर्मचारियों को लापरवाही बरतने में निलंबित किया गया है। मेरी व्यक्तिगत राय है कि निचले कर्मचारियों का निलंबन करने से पहले यह ध्यान देना जरूरी है कि क्या अग्नि सुरक्षा के लिए निचले स्तर पर पूरे कर्मचारी नियुक्त है? क्या निचले स्तर पर अग्नि बुझाने के लिए पूरे संसाधन उपलब्ध हैं? धरातल पर मुझे यह भी अनुभव हुआ है कि फायर सीजन में रखे जाने वाले फायर वाचरों की संख्या पर्याप्त नहीं है। यदि होती भी है तो वह कागजों तक ही सीमित रहती है। निचले स्तरों पर फायर वाचरों की सुरक्षा के लिए उचित संसाधन नहीं रहते हैं और न ही जंगलों में आग बुझाने के दौरान घटनास्थल पर उनके लिए भोजन आदि की व्यवस्था रहती है।

फायर लाइन पर कार्य करने के दिए सुझाव

उन्होंने आगे लिखा कि यह भी संज्ञान में लिया जाना चाहिए कि ब्रिटिश काल में वनों के बीच अग्नि नियंत्रण के लिए फायर लाइन बनाई गई थी, जो आज कहीं दिखाई नहीं देती है जबकि वनों में आग लगने की स्थिति में यह फायर लाइन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। ऐसे में फायर लाइन पर भी कार्य किया जाना चाहिए।

वनों के प्रति जनता का होता रहा मोह भंग

उन्होंने कहा कि वर्तमान में कड़े वन अधिनियमों के कारण स्थानीय जनता वनों से दूर होती जा रही है और उनके मन में यह भाव पैदा हो गया है कि यह वन हमारे नहीं हैं। इन वनों के कारण हमें जनसुविधाओं से वंचित किया जा रहा है जबकि ब्रिटिश काल में जंगलों की सुरक्षा जनसहभागिता के आधार पर की जाती थी परंतु उक्त व्यवस्थाओं से जनता का वनों के प्रति मोह भंग हो गया है। इन बातों पर भी गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। विधायक ने कहा कि मैंने इन्हीं सारी समस्याओं के संबंध में मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष से एक विशेष सत्र आहूत की जाने की मांग की थी, ताकि उक्त सारी समस्याओं पर चिंतन एवं मनन किया जा सके।

कक्ष में बैठकर ही वन विभाग की सेवा करते हैं कई उच्च अधिकारी

उन्होंने कहा कि यह भी संज्ञान में आया है कि संबंधी वनाधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी, क्षेत्रीय वनाधिकारी केवल चौकियों तक ही निरीक्षण कर अपनी इतिश्री समझ लेते हैं। जंगलों में नियुक्त दैनिक वेतन कर्मी एवं फायर वाचरों को नियमित वेतन नहीं मिलता है। इस कारण व्यवस्था भी चरमरा जाती है। वन विभाग में उच्च स्तर पर कई बड़े अधिकारी नियुक्त हैं परंतु वे अपने कक्षों में बैठकर ही वन विभाग की सेवा करते हैं। यह अच्छा होता कि अग्निकांड के लिए उच्च स्तर पर अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होती तो अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का बोध होता। विधायक ने सरकार मांग की है कि निचले स्तर के कर्मचारियों के निलंबन से पूर्व उनकी परेशानियों को भली-भांति समझा जाए और वनाग्नि रोकने के लिए गंभीरता से विचार किया जाए।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/सत्यवान/वीरेन्द्र

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