संगोष्ठी में उभरा 'महिला शिक्षा से राष्ट्र शिक्षा' का मूलमंत्र

संगोष्ठी में उभरा 'महिला शिक्षा से राष्ट्र शिक्षा' का मूलमंत्र
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संगोष्ठी में उभरा 'महिला शिक्षा से राष्ट्र शिक्षा' का मूलमंत्र


नैनीताल, 17 मार्च (हि.स.)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर में समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. ज्योति जोशी और कला संकायाध्यक्ष प्रो. पदम सिंह बिष्ट के संरक्षण में ‘लैंगिक समानता विकास की पहली शर्त है’ विषय पर विद्यार्थी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में ‘महिला शिक्षा से राष्ट्र शिक्षा’ का मूलमंत्र उभर कर आया।

संगोष्ठी में समकालीन भारतीय समाज में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, पर्यावरणीय और अन्य दृष्टिकोणों से लैंगिक आधार पर असमानता के विभिन्न पक्षों पर चर्चा, लैंगिक आधार पर सरकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों की समीक्षा एवं महिलाओं के लिए आरक्षण संबंधी प्रावधानों पर चर्चा की गयी।

संगोष्ठी में शोध छात्र हर्षवर्धन पंत ने बटरफ्लाई इफेक्ट के माध्यम से लैंगिक समानता तथा उत्तराखंड राज्य में पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका, गौरा देवी के योगदान पर, कोमल ने सतत विकास के तहत जेंडर बजटिंग, सबरीमाला केस, वतीन तलाक आदि मुद्दों अपने विचार प्रस्तुत किए।

रिया पांडे ने महिला सशक्तिकरण एवं विकास के प्राचीन या वैदिक कालीन कर्तव्य तथा आधुनिक अधिकार आधारित फेमिनिज्म यानी महिलावाद, नेहा बिष्ट ने शिक्षा एवं महिलाओं पर निवेश पर कल्पना चावला, किरण मजूमदार शाह, इंदिरा गांधी व गौरा देवी के योगदान पर, डॉ. हरिश्चन्द्र मिश्र ने नई शिक्षा नीति-2020 में महिलाओं हेतु उच्च शिक्षा में क्षमता विकास के प्रयासों, लैंगिक समानता और विकास में विशेष शिक्षा जोन आदि पर अपने विचार प्रस्तुत किये।

संगोष्ठी का संयोजन डॉ. प्रियंका नीरज रूवाली और संचालन डॉ. सरोज पालीवाल ने किया। संगोष्ठी में प्रो. अर्चना श्रीवास्तव, डॉ. अर्शी परवीन, डॉ. हरिश्चन्द्र मिश्र एवं विभाग के स्नातक, परास्नातक और शोध छात्र मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ.नवीन जोशी/सत्यवान/रामानुज

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