'फलों के राजा' से 5 गुना तक महंगा बिक रहा 'पहाड़ के फलों का राजा' काफल

'फलों के राजा' से 5 गुना तक महंगा बिक रहा 'पहाड़ के फलों का राजा' काफल
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'फलों के राजा' से 5 गुना तक महंगा बिक रहा 'पहाड़ के फलों का राजा' काफल


-प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

नैनीताल, 19 मई (हि.स.)। यह पहाड़ के फलों के प्रति लोगों की दीवानगी है कि पहाड़ के फल पहाड़ में नहीं मिल रहे हैं। पहाड़ की मंडी हल्द्वानी में यह काफल मिल भी रहे हैं तो देश के दूर के हिस्सों से आने वाले फलों के मुकाबले कई-कई गुना तक महंगे। इस कारण पहाड़ के लोग ही पहाड़ के फलों का स्वाद नहीं ले पा रहे हैं।

सबसे पहले बात पहाड़ के सुप्रसिद्ध फल काफल की, जो प्रसिद्ध कुमाउनी गीत ‘बेडू पाको बारा मासा, नरैणा काफल पाको चैता मेरी छैला...’ के जरिये पहाड़ वासियों की ही नहीं बॉलीवुड की जुबान पर भी चढ़ चुका है। स्वाद की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसके दीवाने हैं। पिछले वर्ष उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को काफल की प्रशंसा में पूरे एक पृष्ठ का पत्र लिखा था। इस काफल ने अपनी 350 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत में फलों के राजा आम सहित अन्य सभी फलों को बहुत पीछे छोड़ दिया है। संभवतया यह हल्द्वानी में उपलब्ध सभी फलों में सबसे महंगा व खासकर आम से तो 5 गुना तक महंगा बिक रहा है। ऐसे में इसे पहाड़ के फलों का राजा भी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

काफल मंडी में नहीं आता है। गिने-चुने लोग, खासकर महिलाएं इसे जंगलों से तोड़कर लाते हैं। बताया जा रहा है कि इस वर्ष वनाग्नि की वजह से काफल के पेड़ भी जले हैं। इस कारण इस वर्ष इसकी पैदावार भी कम हुई है। इसलिये यह जहां पिछले वर्षों में 200 रुपये प्रति किलो के भाव तक मिल जाता था, लेकिन इस वर्ष इसके दाम दोगुने तक बढ़ गये हैं, और यह फलों के ठेलों की जगह फुटपाथ पर भी इतना महंगा बिक रहा है। यह भी है कि पहाड़ के अन्य फल भी 100 रुपये प्रति किग्रा से अधिक के भाव बिक रहे हैं, जबकि अन्य बाहरी फल 100 से नीचे के भाव पर उपलब्ध हैं।

बाजार में बिक रहे फलों की दरें प्रति किग्रा में-

काफल: 350-400

आडू : 80-100

खुबानी: 120-150

पुलम: 100-150

आम: 60-70

सेब: 180-200

तरबूज: 15-20

खरबूजा: 20-30

काफल खाने के लाभ-

काफल को अंग्रेजी में बॉक्स मिर्टल, संस्कृत में कट्फल, सोमवल्क, महावल्कल, कैटर्य, कुम्भिका, श्रीपर्णिका, कुमुदिका, भद्रवती, रामपत्रीय तथा हिंदी में कायफर व कायलफ भी कहा जाता है। यह पेट साफ करने के साथ ही कफ और वात को कम करने वाला तथा रुचिकारक होता है। इसके साथ ही यह शुक्राणु के लिए फायदेमंद और दर्दनिवारक भी होता है। सांस संबंधी समस्याओं, प्रमेह यानी डायबिटीज, अर्श या पाइल्स, कास, खाने में रुचि न होने, गले के रोग, कुष्ठ, कृमि, अपच, मोटापा, मूत्रदोष, तृष्णा, ज्वर, ग्रहणी पाण्डुरोग या एनीमिया, धातुविकार, मुखरोग या मुँह में छाले या सूजन, पीनस, प्रतिश्याय, सूजन तथा जलन में भी फायदेमंद होता है। इसकी तने की त्वचा सुगंधित, उत्तेजक, बलकारक, पूयरोधी, दर्दनिवारक, जीवाणुरोधी एवं विषाणुरोधी भी होती है।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. नवीन जोशी/रामानुज

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