उत्तराखंड की दो नदियों को किया जाएगा चिन्हित, पुनर्जीवीकरण की दिशा में किये जाएंगे कार्य

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उत्तराखंड की दो नदियों को किया जाएगा चिन्हित, पुनर्जीवीकरण की दिशा में किये जाएंगे कार्य


-मुख्यमंत्री धामी ने जलागम विभाग की समीक्षा बैठक में दिए निर्देश

देहरादून, 08 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को जलागम विभाग की समीक्षा बैठक करते हुए प्रारंभिक चरण में राज्य की दो नदियों को चिन्हित कर उनके पुनर्जीवीकरण की दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि एक नदी गढ़वाल मंडल से और एक नदी कुंमाऊ मण्डल से चुनी जाए। वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में छोटी-छोटी तलैया बनाई जाए, इसमें जन सहयोग भी लिया जाए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के साथ ही लोगों की आजीविका को बढ़ाने की दिशा में जलागम विभाग विशेष ध्यान दे।

गुरुवार को जलागम प्रबन्ध निदेशालय इन्द्रानगर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जलागम विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण में इसका भी आंकलन किया जाए कि इससे जल स्रोतों पर कोई प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। योजनाओं के निर्माण से प्रभावित होने वाले जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में भी कार्य किये जाएं। उन्होंने कहा कि जलागम की ओर से संचालित योजनाओं के अन्तर्गत वाइब्रेंट विलेज को भी प्राथमिकता में रखा जाए।

मुख्यमंत्री ने बाह्य सहायतित परियोजनाओं को निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने को कहा। उन्होंने केन्द्र सरकार से सहायतित योजनाओं को शीर्ष प्राथमिकता में रखने को कहा। 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश वाली योजनाओं में और तेजी लाने के निर्देश दिये। स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजुविनेशन प्राधिकरण की ओर से प्राकृतिक जल स्रोतों व वर्षा आधारित नदियों के पुनरोद्धार के लिए लघु एवं दीर्घकालिक उपचार की योजनाएं बनाकर उनका मूल्यांकन व अनुश्रवण करने के भी निर्देश दिये।

मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए उठाए जाएं प्रभावी कदम

मुख्यमंत्री ने जलागम विकास परियोजनाओं के नियोजन एवं क्रियान्वयन के लिए सतत जल संसाधन प्रबन्धन, सतत भूमि और पारिस्थतिकी प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और जैव विविधता संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने आगे कहा कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर प्रभावी कदम उठाये जाएं। पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही कृषि योग्य बंजर भूमि में औद्यानिकी एवं कृषि-वानिकी गतिविधियों द्वारा कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए कार्य किये जाएं। जलागम की योजनाओं में महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जाए।

1148 करोड़ की धनराशि की यह योजना 2030 तक संचालित होगी

बैठक में बताया गया कि जलागम विभाग की ओर से उत्तराखण्ड में चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में पर्वतीय कृषि को लाभदायतक और ग्रीन हाऊस गैस न्यूनीकरण के लिए विश्व बैक की ओर से पोषित ‘उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना’ को स्वीकृति मिली है। 1148 करोड़ की धनराशि की यह योजना 2024 से 2030 तक संचालित होगी। इस परियोजना के तहत स्प्रिंग शेड मैनजमेंट के माध्यम से जल निकासी एवं मृदा अपरदन में कमी लाने, कृषि क्षेत्र में ग्रीन हाऊस गैस को कम करने, बारानी व परती भूमि पर वृक्षारोपण के द्वारा कार्बन की मात्रा में सुधार कर कार्बन फैंसिंग से कृषकों की आय में वृद्धि करने, बारानी एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, उच्च मूल्य फसल उत्पादन के कृषि कलस्टरों की स्थापना एवं एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर की स्थापना की जायेगी। बैठक में बताया गया कि राज्य के तीन जनपदों पौड़ी, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलागम विकास घटक 2.0 के तहत कार्य हो रहे हैं।

बैठक में जलागम प्रबंधन मंत्री सतपाल महाराज, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, जलागम परिषद के उपाध्यक्ष रमेश गढ़िया, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव नमामि बंसल, परियोजना निदेशक जलागम नीना ग्रेवाल व जलागम विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार / वीरेन्द्र सिंह

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