परशुराम चौक पर भगवान परशुराम की प्रतिमा का लोकार्पण

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परशुराम चौक पर भगवान परशुराम की प्रतिमा का लोकार्पण


परशुराम चौक पर भगवान परशुराम की प्रतिमा का लोकार्पण


परशुराम चौक पर भगवान परशुराम की प्रतिमा का लोकार्पण


देहरादून, 10 मई (हि.स.)। अखिल भारतीय देवभूमि बाह्मण जनसेवा समिति की ओर से परशुराम जयंती पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बतौर मुख्य अतिथि परशुराम चौक एवं सनातन धर्म मंदिर देहरादून में शुक्रवार को चिरंजीवी भगवान परशुराम की प्रतिमा का लोकार्पण किया।

स्वामी चिदानंद ने कहा कि परशुराम भगवान विष्णु के आवेशावतार, जो उनका छठा अवतार हैं। महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से परशुराम का जन्म हुआ। उन्होंने धरती पर फैले अन्याय और अत्याचार के अंत के लिए अपना फरसा उठाया। जब-जब उनका फरसा उठा, वह केवल मानवता की रक्षा के लिए उठा। ऋषि की संतान होते हुए भी परशुराम ने अधर्म से लड़ने के लिए 21 बार अपना शस्त्र फरसा उठाया और अन्याय व अत्याचार के विरुद्ध लड़े। स्वामी ने कहा कि आज पृथ्वी पर बढ़ते प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक ऐसे फरसा रूपी शस्त्र की जरूरत है, जो वर्तमान समय में व्याप्त वैचारिक प्रदूषण, वायु प्रदूषण व वाणी प्रदूषण को समाप्त कर सके।

चिदानंद सरस्वती ने अक्षय तृतीया पर संदेश दिया कि धरती ही सोना है, हमारे जलस्रोत सोना है, इसलिए पौधों का रोपण कर धरती रूपी खरा सोना को बचाएं। शास्त्रों में उल्लेख है कि अक्षय तृतीया पर किए गए संकल्प अक्षय होते हैं। अक्षय अर्थात् जिसका कभी क्षय न हो, जिसका कभी अंत न हो, जिसे कभी समाप्त नहीं किया जा सकता, जो शाश्वत है, समृद्ध है, अनवरत चलता है और जो सदैव फलता-फूलता है। धरती नहीं होगी तो न हम होंगे न हमारी भावी पीढ़ियां होंगी। धरती अक्षय होगी तो जीवन सुरक्षित होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/सत्यवान/वीरेन्द्र

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