एरीज में सौर चक्र की परिवर्तनशीलता पर महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित, दुनिया भर के 70 वैज्ञानिकों ने लिया हिस्सा
नैनीताल, 20 अक्टूबर (हि.स.)। नैनीताल स्थित एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान में रविवार को सौर चक्र की परिवर्तनशीलता पर एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में दुनिया भर के 70 वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य सूर्य के दशकीय बदलावों की समझ में हाल की प्रगति पर चर्चा करना और भविष्यवाणी करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करना था।
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि लगभग 11 वर्षों के सौर चक्र के दौरान सूर्य की सतह पर सौर धब्बों का उभरना और गायब होना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। सौर धब्बे उन घटनाओं का प्राथमिक स्रोत होते हैं, जो अंतरिक्ष मौसम और पृथ्वी पर संचार प्रणालियों पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। इन घटनाओं की समझ को बढ़ाने और उनके प्रभावों की भविष्यवाणी करने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया गया।
वर्तमान में हम वर्तमान सौर चक्र के चरम पर पहुँच रहे हैं, और सौर तूफानों की बारंबारता बढ़ रही है। मई और अक्टूबर 2024 में देखे गए ऑरोरा जैसी घटनाएं भी सौर धब्बों के प्रभावों का परिणाम थीं। भारतीय खगोलीय वेधशाला हानले से भी इन ऑरोरा का अवलोकन किया गया।
सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने विभिन्न पूर्वानुमान मॉडलों पर चर्चा की, जिनके माध्यम से सौर गतिविधियों की भविष्यवाणी की जाती है।
प्रतिभागियों ने भारतीय भू-आधारित वेधशाला, कोडाइकनाल से प्राप्त डेटा की समीक्षा की और इसे वैश्विक वेधशालाओं के आंकड़ों से तुलना की।
इस आयोजन को स्कूस्टो, प्रेस्टो और विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड द्वारा भी आंशिक रूप से समर्थन प्राप्त था। साथ ही आईआईटी कानपुर, आईआईए, टीआईएफआर, आयुका, और जर्मनी के मैक्स प्लैंक संस्थान के वैज्ञानिकों ने भी सम्मेलन में भाग लिया, जिससे यह कार्यक्रम सौर परिवर्तनशीलता और पूर्वानुमान क्षमताओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी
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