'होली मा मेरो रंग रंगीलो बालम घूंघटा खोल दे...,

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शीतला अष्टमी से अगले बसंत के लिए विदा हुआ फागोत्सव

लखनऊ, 15 मार्च (हिस़.)। होली के पहले से चले रहे फागोत्सव श्रृंखला के तहत लोक संस्कृति शोध संस्थान की होली संगीत बैठकी का बुधवार को समापन हुआ। गोमतीनगर, विभूति खण्ड स्थित पार्श्वनाथ प्लानेट में फगुहारों की टोली ने चैताल, डेढ़ ताल, ढाई ताल, उलारा आदि में फागों का गायन किया। मेजबान भावना शुक्ला ने अबीर-गुलाल से आए होरियारों का स्वागत किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ लोक गायिका शिखा श्रीवास्तव ने ’गणपति गति खेलें रंग आज पर्वत पर... और ’होरी खेलत सियाराम अवध मा... से किया। वरिष्ठ गायिका कुमकुम मिश्रा ने ’श्याम से ऐसी होरी हुई शरम से मैं मर गई..., इन्दू सारस्वत ने रंग डारो न कान्हा..., शारदा पांडेय ने उड़े रंग अबीर गुलाल फागुन आयो री... डा. अंजू भारती ने ’सिया निकसि अवधवा की ओर होलिया खेलें रामलला.., राजू त्रिपाठी ने फगुनवा में रंग रसे रसे बरसे..., डा. भक्ति शुक्ला ने ’होली मा मेरो रंग रंगीलो बालम घूंघटा खोल दे..., अरुणा उपाध्याय ने अंखियन पड़त गुलाल आज कान्हा रे जिद ना करो..., लक्ष्मी जोशी ने ’होरी खेलत हैं नन्दलाल धूम मची भारी रे.., जयन्ती मिश्रा ने ’पिचकारी से रंग डारी सारी..., गीता शुक्ला ने रंग डारो ना, आशा सिंह रावत ने ’बम भोले हो लाल कहां रंगवल पागरिया..., रश्मि उपाध्याय ने ’मोरा सइंया सनेहिया ना आये,,,, सत्यप्रकाश साहू ने ’कान्हा मारो न मोहे पिचकारी सुनाया। समवेत स्वर में ’होली की मंगल प्रार्थना सदा आनंद रहे यहि द्वारे मोहन खेलें होरी..... गाया।

डॉ. अंजू भारती, आभा शुक्ला, निवेदिता भट्टाचार्य, पूनम सिंह, अर्चना गुप्ता, हेमलता त्रिपाठी, भारती योगेश, आशा त्रिपाठी, रीता सिंह, रीता श्रीवास्तव, मनीषा शाही, पूर्णिमा, भूषण अग्रवाल, सुरेश कुमार, विद्याभूषण सोनी, पूजा मिश्रा, ज्योति किरन रतन, मेराज आलम, हेमलता त्रिपाठी आदि ने होली की खूब धूम मचाई। संगत कलाकारों में अर्पित श्रीवास्तव, शशांक शर्मा, सोहम मिश्रा प्रमुख रहे।

संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने बताया कि परम्परानुसार बसंत पंचमी से शीतलाष्टमी तक अनवरत फाग गायन की परम्परा रही है। चालीस दिनों से अनवरत चल रही फगुवा गायकी , जिसमें होरी, चैताल, डेढ़ताल, ढाईताल, धमार, उलारा, बेलवरिया, चहाका, लेज चहली, भंड़ौआ, दुताला, कबीरा जोगीरा आदि के स्वर होते रहे हैं, ये शीतलाष्टमी की तिथि से अगले वसंत तक स्थगित हो जाते हैं। लखनऊ में इस परम्परा को जीवंत बनाने के उद्देश्य से संस्थान की ओर से होली बैठकी आयोजित की गई। फागोत्सव के अन्तर्गत इस वर्ष सात अलग अलग स्थानों पर बैठकी के आयोजन हुए।

हिन्दुस्थान समाचार/शैलेंद्र

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