हरिद्वार के जिलाधिकारी से भुगतान की धनराशि का ब्यौरा न्यायालय में पेश करने को कहा
नैनीताल , 30 अगस्त (हि.स.)। हाई कोर्ट ने इकबालपुर (हरिद्वार) स्थित चीनी मिल की ओर से गन्ना किसानों का वर्ष 2017 से 2019 तक के करोड़ों का बकाया भुगतान न करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने हरिद्वार के जिलाधिकारी से भुगतान की धनराशि का ब्यौरा न्यायालय में पेश करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान चीनी मिल की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जिलाधिकारी के नेतृत्व में खोले गए खाते में 60 करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं। जिसमें से 50 प्रतिशत गन्ना किसानों को और शेष बैकों का लोन चुकाने के लिए दिया गया है। कंपनी की ओर से कोर्ट से आग्रह किया गया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी की तरफ से अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा दिया जाना है। मुआवजे की शेष रकम का भुगतान इस धनराशि से कर दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी नितिन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार स्थित इकबालपुर चीनी मिल (धनश्री एग्रो) पर गन्ना किसानों का वर्ष 2017-18 का 108 करोड़ और वर्ष 2018-19 का 109 करोड़ रुपये भुगतान बकाया है। याचिकाकर्ता का कहना था कि सरकार के आदेश पर चीनी मिल को शॉफ्ट लोन के रूप में 214 करोड़ रुपये विभिन्न बैंकों से ऋण दिया गया। इसमें कहा गया कि आम लोगों की इस जमा राशि को शॉफ्ट लोन के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि किसानों का गन्ने का भुगतान करने के लिए जब्त की गई चीनी की नीलामी की जाए। हरिद्वार के डीएम ने पूर्व में कोर्ट को बताया था कि इकबालपुर चीनी मिल, प्रशासन को सहयोग नहीं कर रही है। इस मिल से करीब 19 हजार 903 किसान प्रभावित हैं। कोर्ट के आदेश पर प्रशासन की ओर से खोले गए खातों में चीनी बेचे जाने के बाद करीब 28 करोड़ रुपये जमा हुए हैं, जबकि देनदारी 154 करोड़ की है। अभी तक किसानों को उनके गन्ने का भुगतान नहीं किया गया।
हिन्दुस्थान समाचार/ लता नेगी

