श्रद्धापूर्वक मनायी आंवला नवमी

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हरिद्वार, 21 नवंबर (हि.स.)। आवंला नवमीं का पर्व आज तीर्थनगरी में श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर लोगों ने आवंला वृक्ष का पूजन किया तथा आंवला वृक्ष की छांव में भोजन कर पर्व को मनाया।

भारतीय परंपरा और संस्कृति में हर पर्व का विशेष महत्व है। हर पर्व को मनाने के पीछे वैज्ञानिक आधार भी है। अक्षय नवमी का पर्व वैज्ञानिक और शास्त्रीय मान्यताओं से जुड़ा पर्व है। पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा के दिन तक भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। मान्यता है कि ऐसे में यदि इस दौरान आंवले के पेड़ की पूजा करने के साथ आंवले के पेड़ की छत्रछाया में रहते हैं तो जातकों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। यहीं कारण है कि आंवला नवमीं पर आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी मनाई जाती है। आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन यदि श्री हरि विष्णु की पूजा विधि-विधान से की जाती है तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और श्रद्धालुओं को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

मातृ सदन आश्रम जगजीतपुर, कनखल में स्वामी शिवानंद महाराज के सानिध्य में आवंला नवमीं मनायी गई। अक्षय नवमी के अवसर पर आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन ग्रहण किया। इस मौके पर डॉ भोला झा, डॉ निरंजन मिश्रा, काली प्रसाद साह, अबधेश झा, आचार्य दीपक कोठारी, साध्वी पद्मावती ब्रह्मचारी यजनानंद, ब्रह्मचारी ऋषिकषानंद सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

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