उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ छठ महापर्व

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ छठ महापर्व
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उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ छठ महापर्व


उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ छठ महापर्व


-महापर्व छठ समारोह का शुभारंभ शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद ने किया

ऋषिकेश, 20 नवंबर( हि.स.)। पूर्वांचल का मुख्य महापर्व छठ सोमवार तड़के उगते सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत आस्था के साथ हुआ।

सोमवार को देवभूमि ऋषिकेश छठ के रंग में सराबोर नजर आई। छठ मैया के गीत गाते हुए और दीप जलाकर पूर्वांचल की हजारों व्रती महिलाओं ने सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया। त्रिवेणी घाट सहित अन्य घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। जिसमें हजारों महिलाएं और पुरुष गंगा घाटों की तरफ उमड़े और तड़के उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न हुआ।

पूर्वांचल समुदाय के लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर गंगा घाटों और तटों पर लोगों की भीड़ रही। व्रती लोग परिजनों के साथ मिलकर सिर पर डाला (फलों की टोकरी) लेकर गंगा घाट और तटों की ओर रवाना हुए। घाट पर सजी बेदी पर बैठकर व्रती लोगों ने विधिविधान के साथ छठ मैय्या की पूजा अर्चना की। सोमवार को तपोवन, मुनि की रेती, पूर्णानंद, त्रिवेणीघाट, श्यामपुर और रायवाला क्षेत्र के गंगा घाट और तट पर पूर्वांचल समुदाय के लोगों की भीड़ उमड़ी। सुहागिन महिलाए सोलह श्रृंगार कर पहुंची। घाट पर सजी बेदी में व्रती लोगों ने परंपरा के साथ छठ मैय्या की पूजा अर्चना की। सुबह त्रिवेणी घाट पर जमकर आतिशबाजी की गई। यहां छठ की अनूठी छटा देखने को मिली। गौरतलब है कि महिलाओं ने ऊर्जा व समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव का 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जोकि आज सम्पन्न हो गया।

उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक छठ पूजन समिति की ओर से 29वां सार्वजनिक छठ महोत्सव का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया था। इससे पहले मंत्री डॉ अग्रवाल ने डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर देश और प्रदेश की उन्नति, सुख- समृद्धि और खुशहाली की कामना की थी। इस मौके पर आस्था पथ पर गंगा में दूध विसर्जित किया।

रविवार से त्रिवेणी घाट पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने भोजपुरी भाषा में कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि छठ पूजा को सूर्य छठ या डाला छठ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इसकी शुरुआत डूबते हुए सूर्य की अराधना से होती है।

डॉ. अग्रवाल ने छठ शब्द का महत्व बताया। कहा कि शब्द छठ संक्षेप शब्द षष्ठी से आता है, जिसका अर्थ छः है, इसलिए यह त्योहार चंद्रमा के आरोही चरण के छठे दिन, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष पर मनाया जाता है। कार्तिक महीने की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक मनाया जाने वाला ये त्योहार चार दिनों तक चलता है। मुख्य पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन की जाती है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सूर्य भगवान की पूजा कुष्ठ रोग जैसी बीमारियों को भी समाप्त करती है और परिवार की दीर्घायु और समृद्धि सुनिश्चित करती है। यह सख्त अनुशासन, शुद्धता और उच्चतम सम्मान के साथ की जाती है। उन्होंने कहा कि छठ व्रत करने वालों के घर में हमेशा सुख-समृद्धि और आरोग्यता बनी रहती है।

उन्होंने कहा कि छठ पर्व के दौरान हवा का नियमित प्राणिक प्रवाह गुस्सा, ईर्ष्या और अन्य नकारात्मक भावनाओं को कम करने में मदद करता है।डॉ अग्रवाल ने कहा कि सूर्य को शक्ति का देवता माना जाता है और इसकी आराधना पूजा हिन्दू धर्म में काफी महत्व रखती है।

उन्होंने कहा कि देश विविधताओं से भरा हुआ है और हमें उन विविधताओं का आदर-सम्मान करना चाहिए। इस मौके पर डॉ अग्रवाल ने छठ व्रतियों के सुख, समृद्धि और खुशहाली की मंगल कामना की।

इस अवसर पर समिति महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य, अध्यक्ष राम कृपाल गौतम, लल्लन राजभर, कार्यक्रम अध्यक्ष शम्भू पासवान, संयोजक प्रदीप दुबे, महामंत्री परमेश्वर राजभर, कोषाध्यक्ष वीर बहादुर राजभर, जय प्रकाश नारायण, नागेंद्र सिंह, राजू गुप्ता, राहुल शर्मा, धीरज सिंह अध्यक्ष राजपाल ठाकुर, महामंत्री दीनदयाल राजभर, उपाध्यक्ष संजय भारद्वाज, कार्यक्रम अध्यक्ष राजाराम, जिला भाजपा उपाध्यक्ष प्रतीक कालिया, कार्यक्रम संयोजक पंकज गुप्ता, रमेश त्रिपाठी, गिरीश राजभर, जितेंद्र प्रसाद, शैलेन्द्र बिष्ट, मुसाफिर प्रसाद आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विक्रम

/रामानुज

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