अब इंतजार की घड़ी नजदीक, जल्द देश-दुनिया के सामने होगा उत्तराखंड का पांचवां धाम

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अब इंतजार की घड़ी नजदीक, जल्द देश-दुनिया के सामने होगा उत्तराखंड का पांचवां धाम


अब इंतजार की घड़ी नजदीक, जल्द देश-दुनिया के सामने होगा उत्तराखंड का पांचवां धाम


देहरादून, 07 जून (हि.स.)। अब उत्तराखंड के पांचवें धाम के इंतजार की घड़ी नजदीक आ चुकी है। देहरादून में राज्य का पांचवां धाम लगभग बनकर तैयार हो गया है। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम के बाद सैन्यधाम को पांचवें धाम की संज्ञा दी गई है। यह विश्वफलक पर देश के बलिदानियों की वीर गाथा प्रदर्शित करेगा। सैन्यधाम जल्द ही देश-दुनिया के सामने होगा।

सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने शुक्रवार को देहरादून स्थित गुनियाल गांव में निर्माणाधीन सैन्यधाम का निरीक्षण कर गुणवत्ता व प्रगति परखी। साथ ही कार्यदायी संस्था के अधिकारियों और विभागीय अधिकारियों को सैन्यधाम के अंतिम चरण के कार्यों को तेज गति से निर्धारित समय पर पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को सैन्यधाम की भव्यता-दिव्यता व गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने को कहा। सैनिक कल्याण मंत्री ने कहा कि सैन्यधाम करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। सैन्यधाम का निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में है। देशभर के स्मारकों का अध्ययन करने के बाद सैन्यधाम का निर्माण किया जा रहा है। यह सैन्यधाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना और प्रदेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। सैन्यधाम का निर्माण कार्य तेजी के साथ चल रहा है। धाम में 120 फीट ऊंचा तिरंगा लगाया जा रहा है।

सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि भारतीय सेना में जिन दो सैनिकों की पूजा की जाती है, उन सैनिकों में बाबा हरभजन सिंह और बाबा जसवंत सिंह के मंदिर का निर्माण सैन्यधाम में किया जा रहा है। देश के प्रथम सीडीएस और उत्तराखंड का गौरव स्व. जनरल बिपिन रावत के नाम पर सैन्यधाम का मुख्य गेट बनाया जा रहा है। निश्चित ही जब यह सैन्यधाम बनकर तैयार होगा तो जिस प्रकार चारों धामों के दर्शन करने के लिए देश भर से यात्री उत्तराखंड पहुंचते हैं, ठीक उसी प्रकार सैन्यधाम को देखने के लिए भी देश-दुनिया से लोग यहां पहुचेंगे।

इस अनूठे सैन्यधाम में उत्तराखंड के 1734 बलिदानियों के घरों के आंगन की मिट्टी को लाकर यहां डाला गया है। इन सभी बलिदानी जवानों के बलिदान का जिक्र इस धाम में किया गया है। सैन्यधाम के द्वार का नाम देश के प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत के नाम पर रखा गया है। इस धाम में लाइट एंड साउंड शो और संग्रहालय भी बनाया गया है। धाम परिसर में वायुसेना के लड़ाकू विमान, थल सेना के युद्धक टैंक और अन्य हथियारों को भी प्रदर्शित किया जा रहा है। दिल्ली में बने सैन्यधाम जैसे ये धाम भी गौरवशाली इतिहास का प्रतीक बनने जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना में 17.4 प्रतिशत सैनिक योगदान उत्तराखंड से रहा है। माना जाता है कि उत्तराखंड का हर चौथा परिवार भारत की सुरक्षा का दायित्व निभाता रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस धाम की परिकल्पना की थी और अब ये राष्ट्र को समर्पित होने जा रहा है।

पांचवें धाम सैन्यधाम में द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर अब तक उत्तराखंड के जितने भी सैनिक शहीद हुए हैं, उन सबके चित्र लगाए जाएंगे। इसके साथ ही उन सभी के बारे में जानकारी भी दी जाएगी। इसके अलावा सैन्य धाम में लाइट एंड साउंड सिस्टम, टैंक, जहाज के साथ ही अन्य सैन्य उपकरण भी रखे जाने हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/वीरेन्द्र

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