गिरिजा कुमार की कविताओं में लोक-चेतना और वैज्ञानिक-चेतना दोनों के दर्शन होते हैं : प्रो. निर्मला

गिरिजा कुमार की कविताओं में लोक-चेतना और वैज्ञानिक-चेतना दोनों के दर्शन होते हैं : प्रो. निर्मला
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गिरिजा कुमार की कविताओं में लोक-चेतना और वैज्ञानिक-चेतना दोनों के दर्शन होते हैं : प्रो. निर्मला


नैनीताल, 18 मई (हि.स.)। प्रो. निर्मला ढ़ैला बोरा ने कहा कि साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान तथा शलाका सम्मान से सम्मानित गिरिजा कुमार माथुर की कविताओं में लोक-चेतना और वैज्ञानिक-चेतना दोनों के दर्शन होते हैं। उनकी रचनाओं में प्रयोगशीलता देखी जा सकती है जिसमें शोध की अपार संभावनाएं हैं।

वे शनिवार को कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में सुप्रसिद्ध हिंदी कवि गिरिजा कुमार माथुर के स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। प्रो. बोरा ने कहा कि कविता और गीतों के अतिरिक्त उन्होंने एकांकी नाटक, नाटक, कहानी और आलोचना में भी कार्य किया है। उन्होंने बताया कि गिरिजा कुमार माथुर का एक गीत ‘छाया मत छूना मन और ‘वी शैल ओवरकम का हिंदी भावांतर ‘हम होंगे कामयाब अत्यंत लोकप्रिय रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. दीवान रावत ने बताया कि लोकप्रिय रेडियो चैनल ‘विविध भारती’ उन्हीं की संकल्पना का मूर्त रूप है।

सुप्रसिद्ध हिंदी कवि गिरिजा कुमार माथुर के पुत्र प्रो. पवन माथुर ने शनिवार को कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में कुलपति प्रो. दीवान रावत एवं हिंदी विभाग के प्राध्यापकों को स्वर्गीय माथुर की महत्वपूर्ण पुस्तक भेंट की।

इस अवसर पर कुलसचिव दिनेश चंद्रा, परीक्षा नियंत्रक डॉ. महेंद्र राणा, महादेवी सृजन पीठ के निदेशक प्रो. शिरीष कुमार मौर्य, डॉ. शुभा मटियानी, डॉ. शशि पांडे, डॉ. दीक्षा मेहरा, मेधा नैलवाल, मधु माथुर एवं एलडी उपाध्याय आदि लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. नवीन जोशी/सत्यवान/रामानुज

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