दून पुस्तकालय में सजी सांस्कृतिक सुरों की शाम, शास्त्रीय संगीत के स्वर से झूम उठा महफिल
- नगीन तनवीर ने छत्तीसगढ़ी लोकगीत से बहाई रसधार, लूटी वाहवाही
- चरणदास चोर नाटक से सत्य के लिए मनुष्य को अडिग रहने का दिया गया संदेश
- पांच दिवसीय ग्रीष्म कला उत्सव-1 का शानदार समापन
देहरादून, 12 मई (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आयोजित पांच दिवसीय ग्रीष्म कला उत्सव का रविवार को शानदार समापन हुआ। पांचवां दिन लोक गीत एवं शास्त्रीय संगीत के नाम रहा।
साहित्य, कला, गीत-संगीत और सिनेमाई कला के विविध पक्षों पर केंद्रित आयोजन की श्रृंखला के तहत रविवार को कहानी वाचन और अभिनय का प्रस्तुतिकरण किया गया। युवा रंगकर्मी सिद्धांत अरोड़ा एवं उनके साथियों ने हबीब तनवीर के नाटक चरणदास चोर का परिचय दिया तथा शानदार ढंग से प्रमुख अंशों का वाचन किया।
चरणदास चोर नाटक सत्य के लिए मनुष्य को अडिग रहने का संदेश देता है। सुपरिचित पटकथा लेखक नाट्य निर्देशक हबीब तनवीर ने इस नाटक का लेखन किया है। चरणदास चोर एक ऐसे चोर की कहानी है, जो आदतन चोर है। सोने की प्लेट चोरी करने से नाटक की कहानी शुरू होती है। चरनदास किसी गांव से सोने की थाली चोरी करके फरार हुआ है। पुलिस से बचने के लिए या यूं चरणदास एक गुरुजी के आश्रम में प्रवेश कर उनका शिष्य बनने की इच्छा प्रकट करता है। गुरुजी मान जाते हैं और शर्त लेते हैं कि चरणदास हमेशा सच बोलने का प्रण लेगा। एक बात गुरुजी की भी माननी पड़ेगी कि तुम्हें झूठ बोलना छोड़ना होगा। पहले तो चरणदास इस प्रण के लिए ना-नुकुर करने लगता है, पर पुलिस से बचने के चक्कर में यह प्रण कर लेता है कि मैं कभी झूठ नहीं बोलूंगा। चरण दास के इन्हीं वचनों पर नाटक के कथानक का ताना-बाना बुना गया। मरते दम तक चरणदास अपने वचनों के पालन में खरा उतर जाता है।
वहीं सांध्यकालीन सत्र संगीत कार्यक्रम पर केंद्रित था। इसमें छत्तीसगढ़ी लोक गीत एवं सुगम शास्त्रीय संगीत की बेहतरीन प्रस्तुतियां सुप्रसिद्ध कलाकार नगीन तनवीर ने दी। उन्होंने छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर संगीत प्रेमियों की वाहवाही लूटी। उन्होंने शास्त्रीय संगीत के स्वर से संगीत की ऐसी शाम सजाई कि महफिल यादगार बन गया।
उल्लेखनीय है कि नगीन तनवीर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक व कवि हबीब तनवीर की बेटी हैं। नगीन तनवीर का दिल और आत्मा हमेशा महत्वपूर्ण, संगीत के साथ जुड़े रहे हैं। उन्होंने शास्त्रीय और हल्के शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण लिया है और यह दुर्लभ व मूल्यवान है। छत्तीसगढ़ी लोक संगीत का भंडार जिसे वह संगीत समारोहों में प्रस्तुत करती है। पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने नया थिएटर की कमान संभाली है। इससे पहले दून पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रो. बीके जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान दीपक नागलिया, विजय भट्ट, हिमांशु आहूजा, कल्याण बुटोला, इरा चौहान अरुण कुमार आदि थे।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण/प्रभात
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