भूस्खलन ट्रीटमेंट की इंजीनियरों ने समझी तकनीकी बारीकियां, साझा किया अनुभव
देहरादून, 13 जून (हि.स.)। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की ओर से प्रायोजित भू-स्खलन जोखिम न्यूनीकरण योजना के तहत उत्तराखंड में भू-स्खलन न्यूनीकरण तथा जोखिम प्रबंधन पर दूसरे दिन गुरुवार को भी कार्यशाला का आयोजन किया।
आपदा प्रबंधन विभाग के विशेषज्ञों के साथ लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग तथा अन्य विभागों के अधिकारियों ने मसूरी स्थित कैम्प्टी तथा गलोगी में चल रहे भूस्खलन ट्रीटमेंट के कार्यों को मौके पर जाकर देखा। कैम्प्टी तथा गलोगी में एनडीएमए की ओर से प्रायोजित भूस्खलन जोखिम न्यूनीकरण परियोजना के अंतर्गत कार्य किया जा रहा है।
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता लोकेश सारस्वत व थत्यूड़ ने कैम्प्टी में चल रहे भूस्खलन ट्रीटमेंट संबंधी कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यहां पहाड़ी ढाल पर पानी के प्रवाह को व्यवस्थित करने के लिए सीढ़ीदार नालियां बनाई गई हैं तथा ढलान पर तार की जाली लगाकर भूस्खलन क्षेत्र का स्थायी समाधान किया गया है।
उन्होंने बताया कि यहां भूस्खलन ट्रीटमेंट के परिणाम बेहद कारगर और सफल रहे हैं। विभिन्न विभाग जिनकी भूस्खलन प्रबंधन में अहम भूमिका रहती है, उन्हें इन दोनों साइटों में इस्तेमाल हो रही तकनीक की जानकारी दी गई। सेल्फ ड्रिलिंग एंकर किस तरीके से इस्टॉल किए जाते हैं, इसके बारे में बताया गया। ग्राउटिंग करने की सही तकनीक से भी प्रतिभागी रूबरू हुए। विशेषज्ञों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने इन दोनों साइटों में प्रयोग की गई तकनीक तथा अनुभवों को साझा किया, ताकि राज्य के अन्य भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में इसका लाभ मिल सके।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/सत्यवान/वीरेन्द्र
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