वन भू-क्षेत्रों की बहाली एवं आजीविका संवर्द्धन पर जोर

वन भू-क्षेत्रों की बहाली एवं आजीविका संवर्द्धन पर जोर
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वन भू-क्षेत्रों की बहाली एवं आजीविका संवर्द्धन पर जोर


देहरादून, 23 फरवरी (हि.स.)। भारत-जर्मनी बाईलेट्रल कोऑपरेशन प्रोजेक्ट के तहत राजधानी देहरादून में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। साथ ही वन भू-क्षेत्रों की बहाली एवं वनाधारित क्षेत्रों पर निर्भर स्थानीय समुदाय की आजीविका संवर्द्धन पर विशेष फोकस किया।

उल्लेखनीय है कि इस परियोजना की अवधि छह वर्ष है, जो वर्ष 2023 से वर्ष 2029 तक है। परियोजना महाराष्ट्र, गुजरात एवं उत्तराखंड के साथ दिल्ली राष्ट्रीय कैपिटल रिजन में क्रियान्वयन किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना के तहत वन भू-क्षेत्रों की बहाली के मॉडल का कियान्वयन, वन भू-क्षेत्रों के पुनर्स्थापन, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र, कृषि-यानिकी क्षेत्रों एवं वन क्षेत्रों को बढ़ाने पर जोर रहेगा। कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा हुई।

विविधता, प्राकृतिक संपदाओं एवं कठिन परिक्षेत्रों के लिए प्रसिद्ध है उत्तराखंड

उत्तराखंड राज्य भारत में अपनी विविधता, प्राकृतिक संपदाओं एवं कठिन परिक्षेत्रों के लिए प्रसिद्ध है। राज्य वन-सम्पदा, प्रसिद्ध नदियों की समृद्धता, उच्च हिमालयी अखला, घने जंगलों सहित तराई क्षेत्र एवं घाटियों का समायोजन है। परियोजना के तहत प्रमुख रूप से 30,000 40,000 हेक्टेयर वन भू-क्षेत्रों की बहाली के लिए 3-5 (Forest Landscape Restoration - FLR) पद्धतियों (approaches) को विकसित कर, 2-3 FLR उपायों (measures) को जनपद, विकास खण्ड एवं ग्राम्य विकास कार्ययोजनाओं में समायोजित किया जाना सम्मिलित है।

भारत-जमर्नी-यूरोप के सहयाेग से पाइलेट इन्टरवेंशन

परियोजना के तहत चार परिक्षेत्रों में पाइलेट इन्टरवेंशन किया जाना प्रस्तावित है। इसमें 2-2 परिक्षेत्रों का चयन उचित मानकों के आधार पर राज्य के दो प्रमुख क्षेत्र कुमाऊं एवं गढ़वाल से किया जाना प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक-निजी भागीदारी आधारित भारत-जमर्नी-यूरोप के अभिकर्ताओं के सहयोग से FRL पद्धति पर एक अनुबंध, समुदाय की सक्रिय भागीदारी के लिए 4-6 सामुदायिक अभियान कार्यक्रमों का आयोजन भी सम्मिलित है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/प्रभात

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