शिक्षाविदों ने नई शिक्षा नीति पाठ्यक्रम को रोचक बनाने के लिए दिए सुझाव

शिक्षाविदों ने नई शिक्षा नीति पाठ्यक्रम को रोचक बनाने के लिए दिए सुझाव
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शिक्षाविदों ने नई शिक्षा नीति पाठ्यक्रम को रोचक बनाने के लिए दिए सुझाव










देहरादून, 19 नवम्बर (हि.स.)। नई शिक्षा नीति के तहत विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रमों को समायोजित करने के विषय पर सीबीएसई बोर्ड से जुड़े प्राचार्यों और विषय विशेषज्ञों-शिक्षाविदों ने अपने-अपने सुझाव पेश किये हैं। इस मंथन से निकले सुझावों को सरकार तक पहुंचायी जाएगी ताकि छात्रों को एक रोचक और ज्ञानवर्धक पाठ्यक्रम हासिल हो सके।

रविवार को रिंग रोड स्थित एक होटल में ‘फुल मार्क्स’ पब्लिशिंग हाउस की ओर से नई एजुकेशन पॉलिसी इन न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया।

विशिष्ट अतिथि कुलपति दून विश्वविद्यालय सुरेखा डंगवाल ने बताया कि किस तरह इस पॉलिसी को न्यू करिकुलम फ्रेम वर्क में ढाला जाना चाहिए ताकि देश में शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़े और विद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में शिक्षा का बेहतर माहौल तैयार हो। उन्होंने इस पॉलिसी के संबंध में राज्य और केंद्र सरकार की कार्ययोजना पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिक्षा निदेशक बंशीधर तिवारी आमंत्रित थे। इसके अतिरिक्त विशिष्ट अतिथि सीबीएसई बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी (आरओ) रणवीर सिंह मौजूद रहे। देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत ने भी अपनी भागीदारी की। मंच संचालन डॉक्टर राकेश काला और मयंक गौड़ ने किया।

फुल मार्क्स के निदेशक अश्वनी कपूर और दिनेश अग्रवाल ने कार्यक्रम के मकसद और उद्देश्य की जानकारी दी। जोनल प्रबंधक विनय कुमार झा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। सीबीएसई के आरओ ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी की उपयोगिता और महत्व पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर प्राचार्यों और प्रकाशकों और शिक्षाविदों ने भी पाठ्यक्रमों से संबंधित अपने विचार रखे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

/रामानुज

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