ब्रह्म को प्राप्त करने के समान साधना है नाटक, बनाए रखें अभिनय की भूख : डॉ. सविता मोहन

ब्रह्म को प्राप्त करने के समान साधना है नाटक, बनाए रखें अभिनय की भूख : डॉ. सविता मोहन
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ब्रह्म को प्राप्त करने के समान साधना है नाटक, बनाए रखें अभिनय की भूख : डॉ. सविता मोहन


- एसपी ममगाई की लिखित ऐतिहासिक नाटक ज्योतिर्मयी पदमिनी पुस्तक का लोकार्पण

देहरादून, 30 जून (हि.स.)। प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एसपी ममगाई की ऐतिहासिक कथानक पर लिखित नाटक ज्योतिर्मय पदमिनी पुस्तक का रविवार को दून पुस्तकालय और शोध केंद्र सभागार में लोकार्पण किया गया।

मुख्य अतिथि उत्तराखंड की पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक और शिक्षाविद डॉ. सविता मोहन कहा कि किसी भी कथानक को कलाकार अपनी वाणी और अभिनय से जीवंत बनाते हैं और जब दर्शक किसी नाटक के साथ आत्मसात होकर उसमें खुद को तलाशता है तो यही नाटक की सफलता होती है। उन्होंने कहा कि लेखक के भाव अभिनेता के माध्यम से जब दर्शक तक पहुंचते हैं और दर्शक मंत्रमुग्ध होकर उसमें खो जाता है तो नाटक का लेखन सफल माना जाता है। उनका कहना था कि नाटक भारतवर्ष की प्राचीन विधा है। भरत मुनि के नाट्य शास्त्र का भी उन्होंने उल्लेख किया।

डॉ. सविता मोहन ने पदमावती के चरित्र चित्रण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहासकारों में इस चरित्र को लेकर मत भिन्नता है किंतु मलिक मोहम्मद जायसी ने जिस कथावस्तु के साथ पदमावत की रचना की वह अपने आप में अद्भुत है और उसे महज किसी कवि की कल्पना मात्र नहीं कहा जा सकता। उन्होंने इतिहासकारों द्वारा पदमिनी के सापेक्ष और निरपेक्ष दोनों पक्षों के प्रति तर्क देते हुए कहा कि सूफी परम्परा के कवि जायसी ने एक कालखंड का वर्णन तो किया ही है जो अपने आप में अद्भुत है। उन्होंने कलाकारों का आह्वान किया कि वे अपने अंदर अभिनय की भूख बनाए रखें। उनका कहना था कि नाटक के पात्र को जीना ब्रह्म को प्राप्त करने के समान साधना है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. योगेश धस्माना ने कहा कि नाटकों की रचना और उनका प्रस्तुतिकरण आज के दौर में चुनौती भरा काम है और इस काम को जिस शिद्दत के साथ ममगाई कर रहे हैं, वह निश्चित ही स्तुत्य कर्म है। उन्होंने उत्तराखंड की नाट्य परम्परा और इस क्षेत्र में काम कर चुके लोगों के कृतित्व पर भी प्रकाश डाला।

विशिष्ट अतिथि मो. इकबाल अजर ने कहा कि ममगाई नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और नाटकों के क्षेत्र में उनका योगदान विशिष्ट रहा है।

गढ़वाल की गौरव गाथाओं को भी बनाएं नाटक की विषयवस्तु

ठाकुर भवानी प्रसाद सिंह ने ममगाई को बधाई देते हुए उनसे आग्रह किया कि गढ़वाल की गौरव गाथाओं को भी अपने नाटक की विषयवस्तु बनाएं। उन्होंने महारानी कर्णावती, फतेहप्रकाश तथा कतिपय अन्य विषयों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखंड के इन ऐतिहासिक विषयों पर अभी तक काम नहीं हुआ है, इन पर नाट्य विधा के माध्यम से काम होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने यथोचित सहयोग की पेशकश भी की।

रंगकर्मी एसपी ममगाई ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। गौरतलब है कि ममगाई नाट्य कर्म को मिशन की तरह जीते हैं और अब तक अनेक नई प्रतिभाओं को तराश चुके हैं। ममगाई ने कहा कि उन्होंने गहन शोध और अध्ययन के बाद इस नाट्य पुस्तक को तैयार किया है। रंगकर्मियों के लिए यह एक कथावस्तु के रूप में उपलब्ध है।

कार्यक्रम के मध्य नाटक ज्योतिर्मयी पदमिनी नाटक के कतिपय अंशों का कलाकारों ने वाचिक अभिनय भी किया। इस दौरान संगीतकार रामचरण जुयाल ने हुड़का और मोछंग के साथ कलाकारों को संगत दी। नाटक में मेघदूत नाट्य संस्था की सिद्धहस्त कलाकार मिताली पुनेठा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इससे पूर्व सभी अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया। समारोह की अध्यक्षता टिहरी राजपरिवार के संस्कृति ध्वजवाहक ठाकुर भवानी प्रताप सिंह एवं संचालन वरिष्ठ पत्रकार दिनेश शास्त्री ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण/प्रभात

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