दून पुस्तकालय : तेलुगु लघु कथाओं के साहित्यिक परिदृश्य पर बातचीत, कई प्रसंग उभरे
देहरादून, 07 सितंबर (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से शनिवार की शाम गोगा श्यामला और तेलुगु लघु कथाओं का परिदृश्य विषय पर वार्ता का आयोजन किया गया। वार्ता में निकोलस हॉफलैंड व युवा अध्येता अम्मार यासिर नकवी के बीच बातचीत हुई।
दक्षिण भारतीय साहित्य श्रृंखला में मलयालम व तमिल साहित्य के संदर्भ में गोगु श्यामला और तेलुगु लघु कथाओं के विविध आयामों तथा लघुकथा की शैली से जुड़े बिंदुओं पर सार्थक चर्चा करते हुए अम्मार नकवी ने कहा कि जो बात तेलुगु को एक भाषा के रूप में अद्वितीय बनाती है, वह है इसका दक्कनी भाषा के साथ जुड़े अथवा बने रहना। उन्होंने भारतीय साहित्य और विशेष रूप से तेलुगु साहित्य में अनुवाद और नवीनतम रुझानों पर भी चर्चा की। निकोलस ने कथानक शैली के रूप में छोटी कहानियों के क्षेत्र, तेलुगु साहित्य के इतिहास के साथ दलित और महिला लेखन पर भी अम्मार नकवी से सवाल किए। अम्मार ने विशेष रूप से गोगु श्यामला के लेखन, उनकी लेखन शैली, गांव के शब्द चित्रण और उनकी कहानियों में वर्णित बच्चों के अनूठे विवरण पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया। बातचीत में पेंटालु और चालम जैसे राष्ट्रवादी युग के लेखकों के लेखन व उनकी आधुनिकतावादी प्रवृत्ति पर भी चर्चा हुई।
तेलगु के सत्यागनी जे गौरी और शरीफ जैसे अन्य लेखकों में जानकी रानी और पी सत्यवती जैसी अन्य महिला लेखकों की लेखन शैली, तेलुगु, तमिल और मलयालम लघु कथाओं पर तुलनात्मक विश्लेषण तथा उनसे जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंग उभरकर आए। कार्यक्रम के प्रारंभ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। इस दौरान डॉ. विजय बहुगुणा, केबी नैथानी, डॉ. अतुल शर्मा, लालता प्रसाद, बिजू नेगी, राकेश कुमार, सुंदर सिंह बिष्ट, सुरेंद्र सजवान आदि उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।