कविता संग्रह 'आजादी में आजादी' पर परिचर्चा

कविता संग्रह 'आजादी में आजादी' पर परिचर्चा
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कविता संग्रह 'आजादी में आजादी' पर परिचर्चा


देहरादून, 15 जून (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से शनिवार की शाम अंबेडकर वार्ता श्रृंखला के अंतर्गत डॉ. राजेश पाल की कविता संग्रह ‘आजादी में आजादी’ पर समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन किया गया।

कविता संग्रह पर परिचर्चा में विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ कवि एवं संपादक राजेश सकलानी ने कहा कि ‘आजादी में आजादी’ काव्य संकलन पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि दलित साहित्य को मुख्यधारा का साहित्य होना चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में हिंदी विभाग के प्रोफेसर व कवि डॉ. महेंद्र सिंह बेनीवाल ने कहा कि सामाजिक-राजनीतिक जड़ता को तोड़ने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है।

अध्यक्षता कर रहे जयपुर निवासी कथाकार रत्न कुमार सांभरिया ने कहा कि कवि राजेश पाल की कविताओं में पाठक जैसे-जैसे उतरता जाता है उसे गहराई का अहसास होता जाता है। इनकी कविताएं संघर्ष एवं सामाजिक चेतना के लिए प्रेरित करती हैं। डॉ. एएन सिंह ने कहा कि राजेश पाल अपनी पीढ़ी के सशक्त कवि हैं।

प्रो. महेंद्र सिंह बेनीवाल ने कहा कि राजेश पाल की अपने समय पर मजबूत पकड़ है, जो उनकी कविताओं में बखूबी दर्ज है। डर, भय और चुप्पी के इस दौर में उनकी कविताएं साहस के साथ बोलती हैं और आम आदमी के पक्ष में खड़ी होती हैं। साथ ही उनकी कविताएं भौगोलिक सीमाएं तोड़कर वैश्विक दायरा बनाती हैं।

कार्यक्रम का संचालन सामाजिक चिंतक समदर्शी बड़थ्वाल ने किया। इस अवसर पर राजेश पाल की प्रतिनिधि कविताओं के संकलन का लोकार्पण भी किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/सत्यवान/वीरेन्द्र

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