आयुर्वेद-योग को पर्यटन के साथ जोड़ेगी धामी सरकार, विश्व फलक पर होगी पहचान

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आयुर्वेद-योग को पर्यटन के साथ जोड़ेगी धामी सरकार, विश्व फलक पर होगी पहचान


- आयुर्वेद को बढ़ावा दिए जाने को लेकर सचिवालय में हुई बैठक

- आयुर्वेद की जननी है उत्तराखंड, हिमालयीय जड़ी बूटियों की होगी ब्रांडिंग

- देश भर के आयुर्वेदिक शिक्षाविदों, विशेषज्ञों तथा चिकित्सकों ने दिए सुझाव

देहरादून, 01 मार्च (हि.स.)। आयुष एवं आयुष शिक्षा उत्तराखंड शासन के सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयुर्वेद को बढ़ावा दिए जाने को लेकर सचिवालय में बैठक हुई। बैठक में देश भर के 40 से अधिक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक शिक्षाविदों, विशेषज्ञों तथा चिकित्सकों ने अपने सुझाव दिए।

आयुष सचिव ने बताया कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य उत्तराखंड को वैश्विक पटल पर श्रेष्ठ आयुष गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। सरकार आयुष से जुड़े प्रत्येक हितधारक को साथ लेकर आगे बढ़ेगी। विशेषज्ञों ने मुख्य रूप से प्रदेश में क्लस्टर आधारित आयुष जड़ी बूटियों की खेती को बढ़ावा देने, पूर्व से स्थापित राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसियों का उच्चीकरण, आयुर्वेद-योग को पर्यटन से जोड़े जाने, आयुर्वेद सम्बन्धी रिसर्च संस्थान तथा रिसर्च लैब की स्थापना किए जाने, आयुष शिक्षा गतिविधियों को स्किल इंडिया के साथ जोडे जाने, निजी आयुर्वेदिक शिक्षण संस्थानों में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षण व प्रशिक्षण प्रदान किए जाने तथा उत्तराखंड में आयुर्वेद के पारम्परिक ज्ञान को संकलित व संरक्षित किए जाने सम्बन्धी सुझाव दिए। प्रो. अभिमन्यु कुमार ने विश्वविद्यालय के माध्यम से रिसर्च प्रोटोकॉल तैयार कराते हुए चिकित्सालयों को उसके अनुरूप रिसर्च व डेटा संकलित किए जाने का सुझाव दिया। कहा कि आयुर्वेद को पर्यटन के साथ जोड़ा जाना अतिआवश्यक है। सुझाव दिया कि उत्तराखंड में वेलनेस पर्यटकों के लिए हर्बल ट्रैकिंग रूट विकसित किए जा सकते हैं।

प्रो. पीके प्रजापति ने राजकीय चिकित्सालयों को उच्चीकृत करते हुए कार्मिकों को सम्यक प्रशिक्षण कराकर प्रत्येक उपलब्ध चिकित्सा उपकरणों का उपयोग किए जाने का सुझाव दिया। साथ ही चिकित्सालयों में क्षार सूत्र व पंचकर्म चिकित्सा का व्यापक उपयोग किए जाने तथा वन विभाग व स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर जड़ी बूटियों की कृषि को बढ़ावा दिए जाने का भी सुझाव दिया।

प्रो. महेश व्यास ने उत्तराखंड को आयुर्वेद की जननी बताते हुए प्रदेश की हिमालयीय जड़ी बूटियों की ब्रांडिंग किए जाने का सुझाव दिया। प्रो. बीआर रामकृष्ण ने उत्तराखंड में विश्व का सर्वश्रेष्ठ योग आयुर्वेद आधारित अंतरराष्ट्रीय वैलनेस केंद्र खोले जाने का सुझाव दिया। प्रो. संजीव सूद ने उत्तराखंड की औषधियों को जैविक तथा हैवी मेटल रहित औषधियों के रूप में प्रचारित किए जाने का सुझाव दिया। चार घंटे चली मैराथन बैठक के अंत में आयुष सचिव ने समस्त सुझावों को संकलित करते हुए प्रदेश में आयुर्वेद को बढ़ावा दिए जाने के लिए इसे लागू किए जाने का आश्वासन दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/प्रभात

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