जब मुंबई में बदरीनाथ मंदिर बना था, तब क्यों चुप थे कांग्रेसी: अजेंद्र अजय

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जब मुंबई में बदरीनाथ मंदिर बना था, तब क्यों चुप थे कांग्रेसी: अजेंद्र अजय


देहरादून, 13 जुलाई (हि. स.)। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि दिल्ली में किसी संस्था की ओर से केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाए जाने के मामले को कांग्रेस नेता अनावश्यक रूप से तूल दे रहे हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुंबई में बदरीनाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। तब कांग्रेस नेताओं ने ना ही इसका विरोध किया और ना ही तब तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदीयाल धरने पर बैठे थे।

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद स्पष्ट किया कि दिल्ली में बन रहे मंदिर से राज्य सरकार का कोई लेना देना नहीं है और ना ही राज्य सरकार अथवा मुख्यमंत्री की ओर से किसी प्रकार का इसके लिए सहयोग दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी दिल्ली में प्रस्तावित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कुछ विधायकों, जन प्रतिनिधियों और साधु-संतों के अनुरोध पर गये थे। यह रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा था। मुख्यमंत्री ने धार्मिक कार्यक्रम के नाते कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति दी थी। इसके पीछे यह मंतव्य कहीं भी नहीं था कि प्रस्तावित मंदिर को बाबा केदार के धाम के रूप में विकसित किया जाएगा।

अजेंद्र अजय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भांति मुख्यमंत्री धामी की भी बाबा केदार में गहरी आस्था है। मुख्यमंत्री के रूप में धामी कपाट खुलने के अवसर पर केदारनाथ में लगातार उपस्थित रहते हैं। इसके अलावा मास्टर प्लान के कार्यों के निरीक्षण के लिए भी वे अब तक कई बार बाबा केदार के धाम की यात्रा कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की ओर से ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग केदारनाथ के नाम का दुरुपयोग किया जाएगा अथवा केदारनाथ धाम के नाम पर चंदा एकत्र किया जाएगा तो राज्य सरकार एवं बीकेटीसी ट्रस्ट पर वैधानिक कार्रवाई करेगी। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से बीकेटीसी के अधिकारियों को इस संबंध में कानूनी राय लेने के निर्देश दे दिए गए हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। वर्ष 2015 में मुंबई के वसई नामक स्थान पर 11 करोड़ की लागत से भव्य बदरीनाथ मंदिर बनाया गया था। जिसके शिलान्यास के अवसर पर तत्कालीन कांग्रेस मुख्यमंत्री हरीश रावत कार्यक्रम में शामिल हुए थे। तब कांग्रेस की ओर से यह कहा गया कि एक ही नाम से मंदिर बनने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

हिन्दुस्थान समाचार

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार / वीरेन्द्र सिंह

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