किसी भी जानकारी के सत्यापन और प्रभाव पर विचार करना बेहद जरूरी है : डॉ. नितिन उपाध्याय
-साइबर क्राइम की शिकायत के लिए 1930 पर तुरंत कॉल करें : अंकुश मिश्रा
देहरादून, 05 जनवरी (हि. स.)। साइबर अपराध और भ्रामक सूचनाओं की चुनौतियों से निपटने के लिए पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) ने रविवार को साइबर क्राइम और मिस इनफॉर्मेशन: चुनौतियां और समाधान विषय पर राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस आयोजित की।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. नितिन उपाध्याय ने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले उसके सत्यापन और प्रभाव पर विचार करना बेहद जरूरी है। उन्होंने ‘थिंक बिफ़ोर यू शेयर’ और ‘थिंक बिफ़ोर यू केयर’ की जरूरत पर जोर दिया।
इस मौके पर उन्हाेंने कहा कि फेक न्यूज़ या मिस इनफार्मेशन के लिए एएए प्लान की बात कही। इसमें अवेयरनेस यानी जागरूकता, एडवोकेसी यानी सही नीतियों नियम क़ानून के लिए बात उठाना और एक्शन यानी सही जानकारी देकर मिस इंफ़ॉर्मेशन को ख़त्म करना शामिल है।
उप पुलिस अधीक्षक,साइबर क्राइम स्टेशन अंकुश मिश्रा ने कहा कि 1930 भारत में राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन का टोल-फ्री नंबर है, जिसके माध्यम से नागरिक ऑनलाइन साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह सेवा 24x7 उपलब्ध है और साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाने में मदद करती है।
उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम से बचाव केवल जागरूकता के माध्यम से ही हो सकता है। आम लोगों को जागरूक करने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
उन्हाेंने साइबर अपराध के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डीप फेक में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर नकली वीडियो और ऑडियो तैयार किए जाते हैं। पेंशन धारकों को फर्जी कॉल्स और मैसेज भेजकर ठगी के मामले होते हैं।
उन्हाेंने सिम अपग्रेडेशन फ्रॉड, निवेश धोखाधड़ी, बायोमेट्रिक डेटा चोरी कर ठगी, अवैध गतिविधियों का डिजिटल नेटवर्क डॉकनेट, कूरियर फ्रॉड, फिशिंग और विशिंग, स्किमिंग और आरएफआईडी स्किमिंग, नकली क्यूआर कोड के माध्यम से पैसा चुराना, केवाईसी धोखाधड़ी,नकली मोबाइल ऐप के जरिए ठगी, एआई आधारित वॉयस क्लोनिंग की विस्तार से जानकारी देते हुए इनसे बचाव के उपाय बताए।
उन्होंने कहा कि साइबर अपराधियों को ट्रेस करने और कार्यवाही करने में उत्तराखंड पुलिस की परफोर्मेंस काफी बेहतर रही है। उन्होंने ऐसे बहुत से मामलों की भी जानकारी दी कि किस प्रकार लोग शिकार हुए और उत्तराखंड पुलिस ने कार्यवाही की। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि हमें अपने बायोमैट्रिक जानकारी को लॉक करके रखना चाहिए। आधार की वेबसाइट पर जाकर आसानी से ये किया जा सकता है। किसी भी अनजान लिंक को भूलकर भी ना खोलें। हेल्पलाइन नंबर गूगल से न लेकर संबंधित की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त करें। अंजान नंबर से आए व्हाट्सएप वीडियो कॉल को न उठाएं। अंजान नंबर से कोई धमकी दी जाती है या किसी भी तरह की बात की जाती है तो घबराएं नहीं, एकदम से रिएक्ट न करें और दी गई जानकारी को वेरिफाई करा लें। जागरूक बने, भय और लालच से बचें।
ईशान भूषण, सहायक प्रबंधक कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन, टीएचडीसी ने कहा कि स्मार्टफोन की उपलब्धता आज सभी को है। हम जो भी बोलते हैं, सर्च करते हैं, उस पर नजर रहती है। व्यक्ति विशेष के अनुसार भ्रामक सूचनाएं सृजित कर भेजी जाती हैं। ऐसे में निरंतर सजगता बहुत जरूरी है। उन्होंने बिग डाटा और सूचनाओं के सोर्स की जानकारी के लिए विभिन्न टूल्स के बारे में बताया।
इस अवसर पर पीआरएसआई देहरादून के अध्यक्ष रवि बिजारणियां ने कहा कि देहरादून चैप्टर की ओर से जनजागरूकता के उद्देश्य से आज का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। भविष्य में भी अन्य विषयों पर ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।इस अवसर पर उपाध्यक्ष डॉ. अमरनाथ त्रिपाठी, सचिव अनिल सती, कोषाध्यक्ष सुरेश चंद्र भट्ट, वैभव गोयल, संजय सिंह, शिवांगी सिंह, अजय डबराल, संजय भार्गव, अनिल दत्त शर्मा, अनिल सती सहित अन्य सदस्य और मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार