अटल भू-जल योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्टेट लेवल स्टीयरिंग कमेटी का गठन, लघु सिंचाई विभाग संभालेगा कमान
- उत्तराखंड के तीन जल संकटग्रस्त जनपद अटल भू-जल योजना के तहत सूचीबद्ध
- मुख्य सचिव बोलीं, सामुदायिक नेतृत्व व भागीदारी से सुधरेगा स्थायी भू-जल प्रबंधन
देहरादून, 10 सितंबर (हि.स.)। उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अटल भूजल योजना के तहत राज्य के तीन जल संकटग्रस्त जनपद चंपावत, हरिद्वार व उधमसिंह नगर में जल बजटिंग व कार्यक्रम के स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन की देखरेख और विभिन्न राज्य एजेंसियों के बीच भू-जल प्रबंधन के लिए समन्वय के लिए स्टेट लेवल स्टीयरिंग कमेटी गठित करने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कमेटी में लघु सिंचाई विभाग को नोडल विभाग बनाया है और पेयजल व स्वच्छता, शहरी विकास, पंचायती राज, सिंचाई, ग्राम्य विकास विभाग व स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (सारा) को शामिल करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कमेटी को कार्यक्रम की मासिक समीक्षा के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने नोडल विभाग को निकाय स्तर पर मास्टर ट्रेनर्स नामित करने तथा उनके प्रशिक्षण के लिए आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। यह मास्टर ट्रेनर वाटर प्लान व बजटिंग बनाने में सहायता करेंगे। मुख्य सचिव ने जल संकटग्रस्त जनपद चंपावत, हरिद्वार व उधमसिंह नगर में अटल भू-जल योजना के तहत कैच द रैन, अमृत सरोवर, स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (सारा) की गतिविधियों को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
अटल भू-जल योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर बल देते हुए मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि इस योजना का उद्देश्य मुख्य रूप से वर्तमान में संचालित विभिन्न केंद्रीय और राज्य योजनाओं के बीच कन्वर्जेंस के माध्यम से सामुदायिक नेतृत्व व भागीदारी से स्थायी भू-जल प्रबंधन में सुधार करना है। उन्होंने निर्देश दिए कि जागरूकता कार्यक्रमों और स्थायी भू-जल प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर व्यवहार में बदलाव लाने के लिए कार्य किए जाए। मुख्य सचिव ने जिलों में समुदायों और पंचायतों की विभिन्न गतिविधियों जैसे वाटर यूजर एसोसिएशन का गठन-मजबूती, भू-जल आंकड़ों की निगरानी और प्रसार, जल बजट और ग्राम पंचायतवार जल सुरक्षा योजनाओं (डब्ल्यूएसपी) की तैयारी व उनके कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी के निर्देश दिए।
राधा रतूड़ी ने कहा कि अटल भू-जल योजना का एक मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर पर व्यवहार में बदलाव लाना है। इसके लिए जल बजट और वाटर सिक्योरिटी प्लान तैयार करते समय जल उपलब्धता और उपयोग जैसे जल संबंधी डेटा का उपयोग किया जाएगा। ये योजनाएं सामुदायिक भागीदारी से तैयार की जाएंगी और योजना में इस्तेमाल किए गए डेटा को पूरे समुदाय तक पहुंचाया जाएगा। इसके अलावा जल संबंधी डेटा को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल वाटर लेवल रिकॉर्डर (डीडब्ल्यूएलआर), वाटर लेवल साउंडर, रेन गेज, वाटर फ्लो मीटर जैसे विभिन्न उपकरण लगाए जाएंगे। वहीं भारत सरकार राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत सतही और भू-जल दोनों के लिए विभिन्न रियल टाइम डेटा अधिग्रहण प्रणाली (आरटीडीएएस) भी स्थापित कर रही है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की अटल भूजल योजना के तहत पंचायत स्तर के वाटर यूजर एसोसिएशन में जल बजट और वाटर सिक्योरिटी प्लान अभ्यास में महिलाओं की भागीदारी कम से कम 33 प्रतिशत रखी गई है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में मौजूदा ग्राम जल और स्वच्छता समिति का विस्तार किया गया है और उनका सहयोग इस कार्यक्रम में लिया जा रहा है। अटल भू-जल योजना (अटल जल) गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे सात राज्यों के 80 जिलों की 8,562 ग्राम पंचायतों में कार्यान्वित की जा रही है। इसका उद्देश्य मुख्य रूप से विभिन्न चल रही केंद्रीय और राज्य योजनाओं के बीच अभिसरण के माध्यम से समुदाय के नेतृत्व में स्थायी भू-जल प्रबंधन में सुधार करना है। उत्तराखंड राज्य के तीन जल संकटग्रस्त जनपद हरिद्वार, उधमसिंह नगर व चंपावत को भी योजना के तहत सूचीबद्ध किया गया है। बैठक में सचिव शैलेश बगौली सहित पंचायती राज, पेयजल, शहरी विकास, सिचाई, लघु सिचाई, ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण
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