अंतिम सोमवार को उमड़ी भक्तों की भीड़
-ऊं नमः शिवाय का जप करते हुए भक्तों ने भगवान शिव का किया जलाभिषेक
रुद्रप्रयाग, 12 अगस्त (हि.स.)। सावन मास के अंतिम सोमवार को कोटेश्वर महादेव मंदिर सहित अन्य शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहा। भक्त की भीड़ सुबह से ही शिवालयों में उमड़नी शुरू हो गई थी। खासकर कोटेश्वर महादेव मंदिर में भीड़ को नियत्रंण करने को लेकर खासी मशक्कत करनी पड़ी, जबकि जाम की समस्या से भी लोगों को छुटकारा दिलाया गया।
कोटेश्वर महादेव मंदिर जिला मुख्यालय से मात्र तीन किमी की दूरी पर स्थित है। कोटेश्वर महादेव मंदिर एक गुफा में स्थित है, जहां से अलकनंदा नदी कुछ ही दूरी पर बहती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षस भस्मासुर ने भगवान शिव को अपनी शक्ति से मारने की कोशिश की, तो भगवान शिव राक्षस से बचकर भागे और भगवान विष्णु की मदद के लिए कोटेश्वर गुफा में ध्यान लगाया। उसके बाद भगवान विष्णु ने राक्षस भस्मासुर का वध किया।
कोटेश्वर मंदिर के महंत शिवानंद गिरी महाराज ने बताया कि सावन के अंतिम सोमवार को दूर-दराज से हजारों की संख्या भक्त गुफा में जलाभिषेक को पहुंचे। सावन माह में एक बिल्वपत्र और जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कोटेश्वर गुफा में सावन माह में जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। कोटेश्वर महादेव मंदिर के अलावा अन्य शिवालयों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। बड़ी संख्या में भक्तों ने पूजा अर्चना के साथ ही भगवान शिव का जलाभिषेक किया। इस दौरान सभी ने सुख समृद्धि की कामना की।
केदारनाथ में भी स्थानीय लोगों के अलावा श्रद्धालुओं ने बाबा केदार का जलाभिषेक किया। हल्की बारिश के बीच सुबह चार बजे से ही भक्त शिव मंदिरों में दर्शन को उमड़ने लगे। पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ, विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, द्वितीय केदार मदमहेश्वर, तृतीय केदार तुंगनाथ, प्रसिद्ध सिद्धपीठ कोटेश्वर महादेव के साथ ही रुद्रनाथ, पुंडेश्वर, सूर्यप्रयाग, रुच्छ महादेव, उमरानारायण, गंगतल आदि शिवालयों में भक्तों की भीड़ लगी रही। ऊं नमः शिवाय का जप करते हुए भक्तों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया।
इधर, कई भक्तों द्वारा लम्बे समय से सावन को लेकर शिवालयों में पाठ रखा गया था। विशेष रूप से कोटेश्वर में पाठ करने वाले भक्तों की संख्या काफी रही। ऐसा माना जाता है कि सावन में शिव की पूजा अर्चना और जलाभिषेक के साथ ही पाठ, हवन आदि से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / Rohit Dimri / कमलेश्वर शरण
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