देहरादून में भारत का अनोखा क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल शुरू, कहानियों के जरिए अपराध पर प्रहार, संवाद और बदलाव की नई पहल

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देहरादून में भारत का अनोखा क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल शुरू, कहानियों के जरिए अपराध पर प्रहार, संवाद और बदलाव की नई पहल


देहरादून में भारत का अनोखा क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल शुरू, कहानियों के जरिए अपराध पर प्रहार, संवाद और बदलाव की नई पहल


देहरादून, 29 नवंबर (हि.स.)। अपराध और साहित्य का अनोखा संगम पेश करते हुए भारत का दूसरा क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल ऑफ इंडिया (सीएलएफआई) शुक्रवार को देहरादून के हयात सेंट्रिक में आरंभ हुआ। यह महोत्सव केवल कहानियों का मंच नहीं है, बल्कि अपराध की जड़ों पर प्रहार करने और न्याय की परिभाषा को नए दृष्टिकोण से समझने का अभियान है। तीन दिवसीय आयोजन (29 नवंबर से एक दिसंबर) में लेखक, फिल्म निर्माता, पुलिस अधिकारी और युवा प्रतिभाएं अपराध रोकने के रचनात्मक तरीकों पर चर्चा करेंगे।

द हंस फाउंडेशन के संस्थापक माताश्री मंगला और भोले महाराज ने फेस्टिवल का उद्घाटन किया। साथ ही प्रसिद्ध फिल्म निर्माता प्रकाश झा जिनकी फिल्में गंगाजल और आश्रम समाज के गहरे मुद्दों को उठाती हैं, ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अपराध साहित्य और सिनेमा एक लेंस की तरह हैं जिससे हमारा समाज अपराध और न्याय के बीच परस्पर संबंध को बेहतर ढंग से समझ सकता है। महोत्सव के अध्यक्ष उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि यह केवल कहानी पेश करने का उत्सव नहीं है, बल्कि समाज को जानकारी, प्रेरणा देने और अधिक जागरूक बनाने का अभियान है।

तीन दिन के आयोजन के लिए द हंस फाउंडेशन, उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद (यूएफडीसी), उत्तराखंड सरकार का उपक्रम और पेट्रोलियम और ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (यूपीईएस) जैसे प्रमुख भागीदारों का पूरा समर्थन रहा है। इस तरह का सहयोग मिलना इस बात का प्रमाण है कि यह महोत्सव बौद्धिक और सांस्कृतिक अनुभव दोनों देता है। इसमें बड़ी संख्या में सुधी जनों की अभिरुचि बढ़ रही है।

पहला दिन मुख्य रूप से प्रकाश झा के नाम रहा, जिन्होंने सिनेमा में सामाजिक नैरेटिव पर अपने विचार रखे। दूसरे दिन मुख्य रूप से कविता कौशिक और अविनाश सिंह तोमर शामिल होंगे। इसके बाद समापन के दिन अनुभव सिन्हा का सत्र होगा। कई अन्य जाने-माने लोग होंगे जैसे लेखिका किरण मनराल और ऋचा मुखर्जी, पत्रकार गार्गी रावत, निधि कुलपति और शम्स ताहिर खान तथा फिल्मी हस्तियां आकाश खुराना और करण ओबेरॉय। इनकी भागीदारी से इस अवसर आयोजित चर्चाओं में गहराई और विविधता आएगी।

आयोजन में शामिल लोग साइबर अपराध, महिलाओं के खिलाफ अपराध और अपराध के पीछे के मनोविज्ञान जैसे ज्वलंत मुद्दों पर विशेष विमर्श में भागीदार होंगे। यह महोत्सव साहित्य, सिनेमा और आपबीती का अद्वितीय संगम है। इसके विचारोत्तेजक सत्रों का संचालन पूर्व ईडी प्रमुख करनाल सिंह, दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह और मेजर जनरल सभरवाल जैसे नामचीन लोग करेंगे।

इस महोत्सव में विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की भागीदारी भी होगी। लघु कथा और फिल्म प्रतियोगिताओं में योगदान के लिए विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। अपराध के विषय पर युवा प्रतिभाओं की प्रस्तुतियां होंगी। हिंदी अपराध साहित्य के पुरोधा सुरेंद्र मोहन पाठक को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया जाएगा। वे लगभग 300 उपन्यास लिख चुके हैं। फेस्टिवल के निदेशक आलोक लाल खुद पूर्व डीजीपी, लेखक और एक प्रसिद्ध कलाकार रहे हैं। उन्होंने फेस्टिवल का विजन बताया और कहा कि सीएलएफआई रचना और वास्तविकता का संगम है जिसका मकसद संवाद को बढ़ावा देना और बदलाव के लिए प्रेरित करना है।

यह आयोजन एक विचारोत्तेजक यात्रा है जिसमें आप देख सकते हैं कि कैसे रचना के साथ अपराध की रोकथाम को जोड़ कर हम सार्थक संवाद के माध्यम से जन जागरूकता का आगाज कर सकते हैं। यह भी देखेंगे कि कैसे कहानियां सामाजिक परिवर्तन के लिए शक्तिशाली जरिया बन जाती हैं और इस नए नजरिए से यह फेस्टिवल देहरादून के सांस्कृतिक परिदृश्य में इतिहास रचने वाला है।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण

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