जबरन सेवानिवृत्त करने के कृषि सचिव की ओर से जारी आदेश निरस्त
- हाई कोर्ट ने बहाल करने एवं समस्त लाभ देने का दिया आदेश
नैनीताल, 15 अप्रैल (हि.स.)। हाई कोर्ट ने पंतनगर विश्वविद्यालय में रिसर्च प्रोजेक्ट में कार्यरत 60 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले प्रोफेसरों को गैर शिक्षक मानकर जबरन सेवानिवृत्त करने के कृषि सचिव की ओर से 4 जुलाई 2023 को जारी आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें बहाल करने एवं समस्त लाभ देने का आदेश दिया है। इससे पूर्व हाई कोर्ट सीनियर स्टेटिशियन/सीनियर रिसर्च ऑफिसर के पदों में कार्यरत प्राध्यापकों की भी याचिका स्वीकार कर चुकी है।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार राज्य सरकार व पंतनगर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से याचिकाकर्ताओं को गैर शिक्षक मानते हुए 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त करने के आदेश को दीपा विनय व अन्य ने हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च में हुई थी और अब वे प्रोफेसर पद पदोन्नत हुए हैं। राज्य सरकार ने 2013 में प्रोफेसर की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष कर दी है। सरकार ने 2023 में एक आदेश जारी कर उन्हें गैर शिक्षक मानते हुए 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त कर दिया। जबकि उनकी नियुक्ति विश्व विद्यालय अधिनियमों व यूजीसी के नियमों के मुताबिक शिक्षक के रूप में हुई है। इस मामले में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता विश्वविद्यालय के शिक्षक हैं और उन्हें एक शिक्षक के सभी लाभ दिए गए थे। जिसके बाद कोर्ट ने सरकार व विश्वविद्यालय के आदेश को रद्द करते हुए पंतनगर विश्व विद्यालय प्रशासन को याचियों को समस्त लाभों सहित तुरंत बहाल करने को कहा है।
हिन्दुस्थान समाचार / लता नेगी/प्रभात
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