मुख्यमंत्री धामी बोले- महिलाओं को सहकारी समितियों में 33 प्रतिशत आरक्षण का निर्णय ऐतिहासिक
- सहकारी संस्थाओं में नियंत्रण और भाई एवं भतीजावाद का हुआ अंत : सहकारिता मंत्री
- सहकारी संस्थाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखण्ड
देहरादून, 22 जून (हि.स.)। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहकारी समितियों में राज्य की महिलाओं को 33 प्रतिशत पद आरक्षित के मंत्रिमंडल के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार की ये बड़ी पहल है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मातृशक्ति का सम्मान हमारी परम्परा रही है। हमारी सरकार महिला सशक्तिकरण पर पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। सहकारी समितियों में प्रबंध समिति के सदस्य एवं सभापति के पदों पर राज्य की महिलाओं को 33 प्रतिशत पद आरक्षित का आज मंत्रिमंडल में निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान के साथ ही मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना, लखपति दीदी योजना और मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना सहित अनेक योजनाएं महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बना रही हैं।
सहकारी संस्थाओं के प्रभावी कामकाज की दिशा में एक अनूठा दृष्टिकोण: सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एक जारी बयान में कहा कि देश का उत्तराखण्ड पहला राज्य है, जहां महिलाओं के लिए सहकारी संस्थाओं में 33% आरक्षण की मंजूरी दी गई है।
सहकारी संस्थाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने से उनके संचालन में और पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। इन संस्थाओं में एकल परिवारों के वर्चस्व की समस्या खत्म कर दी गई है। सत्ता के इस असंतुलन को दूर करने और अधिक समावेशी और न्यायसंगत शासन संरचना का मार्ग प्रशस्त करने का लक्ष्य बनाने के लिए यह कदम उठाए गए हैं। महिलाएं, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से नेतृत्व के पदों पर कम प्रतिनिधित्व मिला है, सहकारी संस्थाओं के प्रभावी कामकाज की दिशा में एक अनूठा दृष्टिकोण और योगदान दे सकती हैं।
उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के उच्च स्तरों पर निदेशक मंडल और अध्यक्षों में महिलाओं की महत्वपूर्ण उपस्थिति होनी जरूरी है। इससे महिलाओं के निर्णय लेने की प्रक्रिया में विचारों और अनुभवों की विविधता भी आएगी। महिलाओं की भागीदारी से सहकारिता के प्रति विश्वसनीयता बढ़ेगी और संतुलित निर्णय लिए जा सकेंगे,जो सहकारी समिति के सभी सदस्यों के हितों और जरूरतों को दर्शाएंगे।
सहकारी संस्थाओं में लैंगिक समानता की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम: मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि सहकारी क्षेत्र में पदों पर लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए अटूट लगन और दृढ़ संकल्प ने पिछले दो वर्षों में आयोजित एक दर्जन से अधिक समीक्षा बैठकों के बाद आखिरकार फल दिया है। उत्तराखंड, कई अन्य राज्यों की तरह, लैंगिक असमानता और निर्णय लेने वाली भूमिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की कमी के मुद्दों से लंबे समय से जूझ रहा है। राज्य में 10 जिला सहकारी बैंक, शीर्ष सहकारी संस्था, 670 एमपैक्स ( बहुद्देश्यीय सहकारी समिति) संचालित होने के साथ, नेतृत्व के पदों पर महिलाओं की कमी स्पष्ट रूप से दिखाई देती थी।
उत्तराखंड सहकारी समिति अधिनियम 2003 नियमावली 2004 के अंतर्गत निबंधित सभी प्रकार की सहकारी समितियों एवं संस्थाओं में, यह संशोधन लागू होंगे:-
-सहकारिता विभाग की शीर्ष सहकारी संस्था
-उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड
-उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ (यूसीएफ)
-उत्तराखंड आवास एवं निर्माण सहकारी संघ
-प्रादेशिक कोऑपरेटिव यूनियन (पीसीयू)
-उपभोक्ता सहकारी संघ
-उत्तराखंड रेशम फेडरेशन
-उत्तराखंड को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन
-उत्तराखंड भेड़ -बकरी एवं शशक फेडरेशन
-उत्तराखंड मत्स्य सहकारी संघ
-श्रम निर्माण संविदा सहकारी संघ
-उत्तराखंड सेब उत्पादक एवं विपणन सहकारी संघ
-उत्तराखंड साइलेज उत्पादन एवं विपणन सहकारी संघ
-उत्तराखंड मत्स्य सहकारी संघ
-10 जिला सहकारी बैंक
-670 एम पैक्स (बहुद्देश्यीय सहकारी समिति)
हिन्दुस्थान समाचार/राजेश/प्रभात
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