समग्र स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन
हरिद्वार,18 नवम्बर (हि.स.)। छठे प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर आयुष मंत्रालय, राष्ट्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद्, राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ।
‘समग्र स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा’ विषय पर अपने उद्बोधन में स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि प्रकृति और संस्कृति का जीवंत संवाहक है। प्रकृति व संस्कृति के साधक को कभी बीमारी नहीं लग सकती। पतंजलि वि.वि. के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के द्वारा पांच सौ से अधिक शोध-पत्र विश्व प्रसिद्ध एवं समीक्षित शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।
केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा को जीवन जीने की एक कला बताया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में आयुष सचिव पद्मश्री वैद्य राजेश कुटेचा ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान के साथ-साथ शिक्षण एवं प्रशिक्षण का अनन्त अवसर है।
इस अवसर पर उप-महानिदेशक, आयुष मंत्रालय सत्यजीत पॉल, एस-व्यासा. वि.वि. बैंगलोर के कुलाधिपति पद्मश्री डॉ. एच.आर. नागेन्द्र, पतंजलि वि.वि. के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, सी.सी.आर.वाई.एन. के प्रमुख डॉ. राघवेन्द्र राव ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर डॉ. नागेन्द्र नीरज, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, साध्वी देवप्रिया, स्वामी परमार्थदेव, डॉ. मन्जूनाथ ने भी तकनीकी सत्रों में अपने विचार रखे। अतिथियों का स्वागत एवं परिचय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संकाय के अध्यक्ष डॉ. तोरन सिंह ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन स्वामी आनन्द देव ने किया।
हिन्दुस्थानसमाचार/रजनीकांत/रामानुज
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