हिमालयी क्षेत्र के लिए क्लाइमेट रिस्क इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ पर किया विचार-विमर्श

हिमालयी क्षेत्र के लिए क्लाइमेट रिस्क इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ पर किया विचार-विमर्श
WhatsApp Channel Join Now
हिमालयी क्षेत्र के लिए क्लाइमेट रिस्क इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ पर किया विचार-विमर्श








-उत्तराखंड और सिक्किम में जलवायु संबंधित आपदाओं के खतरे को कम करने पर सीआईएस की तत्काल ज़रूरत पर दिया ज़ोर

देहरादून, 28 नवंबर (हि.स.)। हिमालयी क्षेत्र में क्लाइमेट इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (सीआईएस) की कमी को पूरा करने के लिए एंड-टू-एंड मानवीय प्रयासों में विशेषज्ञ टेक्नो-एनवॉयरमेंट कैटलिस्ट एसटीएस ग्लोबल ने आज ग्राफिक ऐरा (डीम्ड टू बी यूनीवर्सटी), देहरादून में छठे वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट (डब्ल्यूसीडीएम) के अंतर्गत राज्यस्तरीय विचार-विमर्श सम्मेलन का आयोजन किया गया।

कृषि, राजस्व, पशुपालन, वन एवं पर्यावरण, स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण विकास जैसे सरकारी विभागों के अधिकारी और अन्य तकनीकी विशेषज्ञ और एजेंसियों के लोगों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया और उत्तराखंड व सिक्किम जैसे हिमालयी राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए सीआईएस के बारे में चर्चा की।

चर्चा के दौरान एसटीएस ग्लोबल ने आपसी सहयोग के साथ किए गए हज़ार्ड वल्नरेबिलिटी रिस्क एसेसमेंट (एचआरवीए) से मिली जानकारी साझा की। इसका आयोजन उत्तराखंड के 15 चुनिंदा ग्राम पंचायतों में किया गया और उनके भौतिक, पर्यावरण, आर्थिक, सामाजिक और संस्थागत पहलुओं के बारे में भी जानकारी जुटाई गई।

एचवीआरए के आधार पर प्रोजेक्ट टीम ने नुकसान की घटनाओं के लिए चुनी गई ग्राम पंचायतों का विश्लेषण किया। फोकस ग्रुप की चर्चाओं (एफजीडी) और उसके आधार पर किए गए विश्लेषण को ध्यान में रखते हुए चार ग्राम पंचायतों (फिटारी, ओसला, हर्षिल और धराली) को जोखिम के लिहाज़ से काफी अधिक स्कोर मिला। इन गांवों में कई तरह के नुकसान का अत्यधिक जोखिम है और इसके लिए योजना बनाने व भविष्य के लिहाज़ से प्रयासों को प्राथमिकता देने की ज़रूरत है। इस प्रयास को बढ़ावा देने के लिए सरकार और अन्य पक्षों के लिए सिफारिशें तैयार करना है।

इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए दिलीप सिंह, नेशनल प्रोजेक्ट मैनेजर, यूएनडीपी इंडिया ने कहा, देश के सबसे पुराने राज्यों में खतरा सबसे अधिक है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान आपदाओं की आवृत्ति और उनके विस्तार का दायरा काफी बढ़ गया है।

रायाप्पा कंचरला, टेक्निकल डायरेक्टर, छठा डब्ल्यूसीडीएम ने कहा, हिमालयी क्षेत्र में खतरे चेतावनी दे रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगे हैं। रिपोर्ट से मिली जानकारी से सीआईएस को समय से और भरोसेमंद तरीके से ऐक्सेस करने की ज़रूरत का पता चलता है, ताकि समुदायों को सुरक्षित किया जा सके, किसानों को सशक्त बनाया जा सके और जलवायु से मिली जानकारी को ज़मीनी स्तर पर व्यावहारिक कार्रवाई में बदलने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

क्लाइमेट इंफॉर्मेशन सर्विसेज़ (सीआईएस) के बारे में डॉ. अंशू शर्मा, सह-संस्थापक, एसटीएस ग्लोबल ने कहा, बढ़ती आपदाओं के कारण, डेटा और तकनीक आधारित समाधानों का महत्व बढ़ता जा रहा है, ताकि निर्णय लेने की प्रक्रिया और जलवायु को बेहतर बनाया जा सके। ऐसे प्रयास आपदाओं को कम करने के प्रयासों की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाते हैं। सीआईएस प्रभावी तरीके से लोगों तक पहुंच सके और इसका उचित ढंग से इस्तेमाल किया जा सके, यह पक्का करने के लिए यह ज़रूरी है कि राज्यों और समुदाय के स्तर पर क्षमताएं विकसित की जाएं।

डॉ. पीयूष रौतेला, एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर, यूएसडीएमए ने कहा, ''पिछले एक दशक के दौरान उत्तराखंड ने बाढ़ और बादल फटने की कई घटनाओं का सामना किया है, इसलिए ऐसा सिस्टम तैयार करना ज़रूरी था, जिससे सभी पक्षों को भविष्य की प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार रहने में मदद मिले। यूएनडीपी और एसटीएस ग्लोबल जैसे संगठन, सरकार के प्रयासों में विशेषज्ञता और गहराई लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

एसटीएस ग्लोबल के बारे में -

एसटीएस ग्लोबल एक टेक्नो-एनवॉयरमेंट इंटरप्राइज़ है जो बड़े पैमाने पर एंड-टू-एंड मानवीय प्रयासों को बढ़ावा देता है और उन्हें अंतिम पड़ाव पर मौजूद नागरिक तक पहुंचाता है। यह सीमाओं से परे जाकर समुदायों को मज़बूत और सशक्त बना रहा है। यह संगठन जलवायु की वजह से होने वाले जोखिमों और आपदाओं के समुदाय केंद्रित, विस्तार योग्य और बदलाव लाने वाले समाधान उपलब्ध कराता है। यह संगठन स्थाई आवास की डिज़ाइन तैयार करने, विश्लेषण और योजना, कौशल विकास और क्षमता निर्माण, ज्ञान प्रबंधन के क्षेत्र में और सामाजिक कारणों के लिए टैक्नोलॉजी के इस्तेमाल के लिए सार्वजनिक और निजी संस्थानों के साथ मिलकर काम करता है।

एसटीएस ने 8 देशों में अपनी सेवाएं दी हैं और अपना प्रभाव छोड़ा है, ये देश हैं भारत ,नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मालदीव, फिलिपींस, इंडोनेशिया और श्रीलंका।

हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

/रामानुज

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story