प्लास्टिक इलाज के काम भी आ सकता है : प्रोफेसर टैक्सो कनैको

प्लास्टिक इलाज के काम भी आ सकता है : प्रोफेसर टैक्सो कनैको
WhatsApp Channel Join Now
प्लास्टिक इलाज के काम भी आ सकता है : प्रोफेसर टैक्सो कनैको


नैनीताल, 15 अप्रैल (हि.स.)। आम तौर पर जानलेवा और हानिकारक माने जाने वाले प्लास्टिक को चीन लाभदायक मानता है। चीन में पढ़ा रहे प्रोफेसर टैक्सो कनैको ने कुमाऊं विश्वविद्यालय में ऑनलाइन व्याख्यान देते हुए अनेक लाभ बताते हुए प्लास्टिक की पैरवी की। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक इलाज के काम भी आ सकता है।

जापान में जन्मे और चीन के वुक्सी शहर में स्थित जांगनान यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे प्रोफेसर टैक्सो कनैको ने सोमवार को कुमाऊं विश्वविद्यालय के अतिथि व्याख्याता निदेशालय की ओर से ‘नेक्स्ट जेनरेशन प्लास्टिक्स’ विषय पर आयोजित विशेष ऑनलाइन व्याख्यान में प्लास्टिक के सदुपयोग के कई रास्ते सुझाए। उन्होंने दावा कि इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाने वाला प्लास्टिक को गलाकर नष्ट किया जा सकता है और इलाज के लिए इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

प्रोफेसर कैनेको ने कहा कि प्लास्टिक को कुछ खास तरीके की रासायनिक क्रियाओं से होकर गुजारा जाए तो यह पूरी तरह से नष्ट हो सकता है। अगर इसे नष्ट नहीं करना है तो प्लास्टिक वेस्ट को इस तरह परिवर्तित किया जा सकता है कि इससे शरीर में लगने वाले टांके बनाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक से बने इस तरह के टांकों का इस्तेमाल खासतौर पर चिकित्सालय विहीन क्षेत्रों में लोगों के साथ जानवरों के घावों को सिलने के लिए किया जा सकता है। प्रोफेसर कैनको ने बताया कि उनके शोध में यह बात भी सामने आई है कि ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल समुद्री जीवों, जानवरों और छोटे बच्चों की पेट या पाचन संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।

इस दौरान डीएसबी परिसर की विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. चित्रा पांडे ने प्रो. कैनेको की अब तक की शोध और अकादमिक उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रो. कैनेको ने प्लास्टिक के साथ-साथ प्राकृतिक उत्पादों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शोध किया है। इन्हीं शोधों की ख्याति की वजह से प्रोफेसर कैनेको कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजे जा चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक संस्थाओं के सक्रिय सदस्य भी हैं। उनके अनेकों शोधपत्र जाने-माने जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।

कार्यक्रम का संचालन अतिथि व्याख्याता निदेशालय के निदेशक प्रो.ललित तिवारी ने किया है। कैनको के इस दिलचस्प शोध के बारे में जानने के लिए प्रो.सुषमा टम्टा, प्रो.गीता तिवारी, डॉ.पैनी जोशी, डॉ.गिरीश खर्कवाल, डॉ.ललित मोहन और डॉ.अंचल अनेजा सहित कुमाऊं विश्वविद्यालय के साथ दूसरे राज्यों के कई विश्वविद्यालयों के 78 शिक्षक, छात्र-छात्राएं और शोधार्थी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ.नवीन जोशी/सत्यवान/रामानुज

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story