बाल फिल्म मेले में हास्य प्रधान फिल्मों को देख खिल उठे बच्चों के चेहरे
गोपेश्वर, 12 जून (हि.स.)। रचनात्मक शिक्षक मंडल उत्तराखंड की पहल पर जोशीमठ और उसके आसपास के स्कूली बच्चों के लिए चल रहे तीन दिवसीय बाल फिल्म मेले के तहत बुधवार को राजकीय इंटर कॉलेज पांडुकेश्वर के बच्चों को फिल्में दिखायी गयी। बच्चों के चेहरे हास्य प्रधान फिल्मों को देखने से खिल उठे।
कार्यक्रम की शुरुआत कुमायूं के वरिष्ठ कवि हीरा सिंह राणा की चौथी पुण्य तिथि पर उनको श्रद्धांजलि के साथ हुई। उसके बाद स्व. राणा का प्रसिद्ध गीत लसका कमर बांधा, हिम्मत का साथा, फिर भोला उज्याली होली, कां ले रौली राता ’ को सामूहिक रूप से गाया गया।
बच्चों ने सबसे पहले श्याम बेनेगल निर्देशित फिल्म चरणदास चोर देखी। छत्तीसगढ़ी लोककथा पर आधारित इस फिल्म में एक चोर होता है चरणदास जो चोरी जरूर करता है पर अमीरों की, फिर गरीबों को बांट देता है। फिल्म हास्य के साथ-साथ भारतीय समाज की विसंगतियों पर जबरदस्त व्यंग्य है।
बच्चों ने दूसरी फिल्म देखी चंदा के जूते। एकतारा समूह की ओर से निर्देशित यह फिल्म हमारी शिक्षा की गड़बड़ियों की ओर इशारा करती है। झुग्गियों में रहने वाली चंदा को एक कांवेंट स्कूल में भर्ती कर दिया जाता है। चंदा को सबकुछ स्वीकार है, पर जूते पहनने से परेशानी है। स्कूल में जूते पहनना अनिवार्य है। इसी को केंद्रित यह फिल्म बताती चली जाती है कि कैसे हमारी शिक्षा व्यवस्था बाल मनोविज्ञान को नकारती है। बाल फिल्म समारोह संयोजक नवेंदु मठपाल ने बच्चों को फिल्मों में रंगों का संयोजन और आवाज के महत्व को समझाया। अस्कोट आराकोट यात्रा पर भी बच्चों से बात की गई।
हिन्दुस्थान समाचार/जगदीश/सत्यवान/वीरेन्द्र
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