मानसून सीजन से पहले बाढ़ राहत कार्य नहीं होने पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दो सप्ताह में मांगा जवाब
नैनीताल, 12 जून (हि.स.)। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नंधौर नदी सहित प्रदेश की अन्य नदियों का चैनेलाइजेशन, बाढ़ राहत के कार्य व नदियों से मलुआ नहीं हटाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 1 जुलाई की तिथि नियत की है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से अपनी शिकायत को महाधिवक्ता कार्यालय में रिसीव कराने को भी कहा है। उनके द्वारा तत्काल अपनी शिकायत महाधिवक्ता कार्यालय में रिसीव भी करा दी है।
मामले को याचिकाकर्ता ने अति महत्वपूर्ण बताते हुए आज कोर्ट में मेंशन किया। उनके द्वारा महाधिवक्ता कार्यालय से प्राप्त आरटीआई की प्रति पेश कर कहा कि महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा पूर्व के आदेशों का अनुपालन कराने हेतु 9, 18 अगस्त 2023, 22 सितंबर 2023, 15, 19 फरवरी 2024 व 10 मई 2024 को राज्य सरकार को पत्र भेजा गया परन्तु उसके बाद भी कोई बाढ़ राहत का कार्य प्रारंभ नहीं हुए। सिंचाई विभाग ने भी अपनी सूचना में माना है कि बजट नहीं मिलने के कारण 7 जून तक किसी भी प्रकार की बाढ़ सुरक्षा के कार्य नहीं हुए है। मानसून आने में कुछ ही समय बचा हुआ है इसलिए मामले की शीघ्र सुनवाई की जाय।
समाजसेवी चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नंधौर नदी सहीत गौला कोसी, गंगा, दाबका में हो रहे भूकटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण उनका अभी तक चैनेलाइजेशन नहीं करने के कारण अबादी क्षेत्रों में जल भराव, भू कटाव हो रहा है। उच्च न्यायलय के पूर्व के आदेशों का अनुपालन भी नहीं किया गया, जबकि उनके द्वारा अपनी जनहीत याचिका में कहा है कि 15 जून के बाद मानसून शत्र शुरू हो जाएगा लिहाजा पूर्व के आदेशों का पालन शीघ्र कराया जाए, ताकि पूर्व में आई आपदा जैसी घटना फिर से न घटित हो। पिछले साल नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह गई थीं। चैनलाइज नहीं करने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया था। जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर ,रुड़की, देहरादून में बाढ़ की स्थिति उतपन्न हो गयी थी। बाढ़ से कई पुल बह गए। आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही रही। सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर, मलुआ को नहीं हटाया।
हिन्दुस्थान समाचार/लता नेगी/वीरेन्द्र
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