एम्स में रोड ट्रांसपोर्ट विभाग की संयुक्त पहल पर प्रदेश के 13 जिलों में हुआ फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनिंग कार्यक्रम

एम्स में रोड ट्रांसपोर्ट विभाग की संयुक्त पहल पर प्रदेश के 13 जिलों में हुआ फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनिंग कार्यक्रम
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एम्स में रोड ट्रांसपोर्ट विभाग की संयुक्त पहल पर प्रदेश के 13 जिलों में हुआ फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनिंग कार्यक्रम




ऋषिकेश, 26 फरवरी (हि.स.)। एम्स, ऋषिकेश और रोड ट्रांसपोर्ट विभाग की संयुक्त पहल पर प्रदेश के सभी 13 जिलों में फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसमें प्रथम एवं द्वितीय चरण में 50-50 लोगों के बैच को प्रशिक्षण दिया गया।

सोमवार को बताया गया कि प्रशिक्षित टीम के सदस्य राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति में ट्रॉमा पेशेंट्स के लिए मददगार साबित होंगे।

एम्स के ट्रामा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल के अनुसार एम्स ऋषिकेश और रोड ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के तहत निकट भविष्य में उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में 50 फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनर्स तैयार किए जाएंगे, जो किसी भी दुर्घटना की स्थिति में ट्रॉमा मरीजों को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने और ऐसी घटनाओं में डेथ रेट को कम करने में सहायक बनेंगे।

इसी क्रम में तीसरे चरण की प्रशिक्षण कार्यशाला हुई, जिसमें प्रशिक्षण हेतु इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटेलिटी मैनेजमेंट एंड साइंसेज (आईएचएमएस) कोटद्वार के अध्यापक गणों के साथ उनके छात्र- छात्राएं शामिल हुए। वर्कशॉप में प्रशिक्षणार्थियों को बताया गया कि दुर्घटना के मामले में पहले तीन घंटे बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जिसमें सर्वाधिक 80 फीसदी डेथ होती है। लिहाजा प्रशिक्षित किए जा रहे ट्रेनर्स की सहायता से इस डेथ रेट को कम किया जा सकता है।

इसके साथ साथ उन्हें सीपीआर ,लोग रोलिंग, मेडिकल इमरजेंसी, जलने और किसी भी प्रकार की गंभीर चोट आने पर दिए जाने वाले प्राथमिक उपचार के साथ साथ कृत्रिम उपकरणों के सहायता से व्यक्तिगत प्रशिक्षण भी दिया गया ।

विशेषज्ञों ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं आम बात है, जिससे कई दफा लोग अपनी जान गंवा देते हैं, लिहाजा इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करना और किसी भी क्षेत्र में ऐसी घटनाएं होने की स्थिति में ग्रसित मरीजों को प्राथमिक उपचार के साथ साथ मरीज को इलाज के लिए सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने में सहायक बनाना है।

सफलतापूर्वक कोर्स होने के पश्चात छात्र- छात्राओं के साथ आई शिक्षक विजयश्री एवं कॉलेज के जन संपर्क अधिकारी नरेश थपलियाल ने सुझाव देते हुए सरकार से गुजारिश की कि यह महत्वपूर्ण कोर्स को छात्र - छात्राओं के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाए, जिससे अधिक से अधिक युवाओं में जागरूकता आएगी और अमूल्य जीवन की रक्षा हेतु लाभप्रद होगा ।

बताया गया है कि इस कार्यशाला के लिए कोर्स संयोजक महेश गजानन देवस्थले (असिस्टेंट नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट) के नेतृत्व में एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सेंटर में कार्यरत नर्सिंग प्रोफेशनल्स सीनियर नर्सिंग ऑफिसर अखिलेश उनियाल, शशिकांत, दीपिका कांडपाल , शुशीला , प्रियंका ,कादिर खान, राखी यादव यूनिस, हिमांशु पाठक और मेघा भट्ट ने प्रशिक्षक के रूप में प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया।

क्या कहते हैं एम्स के विशेषज्ञ ?

एम्स की सार्थकता तभी साबित होगी जब संस्थान राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के साथ साथ स्वास्थ्य खासकर ट्रॉमा के मामलों में आम जनमानस को जागरूक कर सके। एम्स द्वारा रोड ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के साथ मिलकर की गई, इस पहल का यही उद्देश्य है। इस मुहिम के माध्यम से हमारी कोशिश है कि ट्रॉमा मामलों में मृत्यु दर को कम करने में अपना योगदान सुनिश्चित किया जाए, जिसमें यह ट्रेनर्स मददगार साबित होंगे।

-प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश।

हमारा प्रयास इंस्टीट्यूट नहीं पब्लिक बेस्ड होना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य जागरूकता के साथ साथ ट्रॉमा के मामलों में आमजन को महत्वपूर्ण जानकारियां देने के साथ साथ प्राथमिक उपचार हेतु प्रशिक्षण भी दिया जा सके। संस्थान राज्य सरकार व संबंधित विभागों, संस्थाओं के साथ मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ाएगा।

-डॉ. मधुर उनियाल, ट्रॉमा सर्जन कोर्स निर्देशक एम्स,ऋषिकेश।

हिन्दुस्थान समाचार/ विक्रम

/रामानुज

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