पटवारी की भू-माफिया के पक्ष में लगाई अंतिम रिपोर्ट पर न्यायालय ने लगाई रोक, दोबारा जांच के आदेश
नैनीताल, 30 सितंबर (हि.स.)। प्रदेश में बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में राजस्व पुलिस व संबंधित पटवारी की कार्यप्रणाली पर उठे सवालों के बीच नैनीताल जनपद में भी एक पटवारी की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है।
जनपद की न्यायिक मजिस्ट्रेट तनुजा कश्यप की अदालत ने वन भूमि में बड़ी संख्या में पेड़ों के अवैध कटान से संबंधित एक मामले में संबंधित विवेचनाधिकारी-पटवारी, राजस्व उप निरीक्षक मझेड़ा की अंतिम रिपोर्ट को निरस्त कर दिया है और मामले की अग्रेतर जांच करने के आदेश दिए हैं। पटवारी पर आरोप है कि उसने पेड़ काटे जाने के गवाहों के बयानों में पुष्टि होने के बावजूद मौके पर नजरी नक्शा नहीं बनाया, जिसमें पेड़ों के काटे हुए ठूंठ नजर आ रहे थे और पेड़ काटने वाले भूमाफिया से मिलकर उसे बेकसूर बताते हुए अंतिम रिपोर्ट लगा दी।
उल्लेखनीय है कि 21 जून 2016 को ग्राम उलगौर के पूर्व वन पंचायत सरपंच गणेश दत्त भट्ट की ओर से गांव के ही देवेंद्र सिंह पर विकास खंड बेतालघाट तहसील कोश्या-कुटौली के ग्राम उल्गौर के तोक रूप सिंह धूरा में मोटर मार्ग के नीचे 17 जून 2016 की रात्रि अत्यधिक संख्या में बांज के हरे पेड़ों को काटे जाने की शिकायत की थी। उनका कहना था कि स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों एवं तहसील के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से मुन्थर चक हरतोला गेट तक नाप-बेनाम जमीनों की बिक्री करने, ग्राम वासियों के हितों को नजर अंदाज कर गांव की भूमि की खरीद-फरोख्त व रास्तों को हथियाने, बांज-बुरांश के पेड़ों को काट कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में आधा दर्जन बांज के पेड़ काटने का आरोप लगाते हुए वन अधिनियम के तहत अभियोग दर्ज करने को तहसीलदार व राजस्व कानूनगो को शिकायती पत्र दिया था।
अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता प्रदीप परगांई ने न्यायालय को बताया कि जांच के दौरान उलगौर के तत्कालीन वन पंचायत सरपंच उमेश पांडे, क्षेत्र पंचायत सदस्य बच्ची राम तथा राजू, जीवंती देवी, नंद राम, नरेंद्र रावत, दीप चंद्र, डुंगर सिंह, व गीता देवी आदि गवाहों ने 6 बांज के पेड़ काटने और वहां इन पेड़ों के खूंट होने की पुष्टि की। अभियोजन की ओर से यह भी कहा गया कि मामले में विवेचनाधिकारी ने गवाहों के दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 161 के तहत दिए गए बयानों की अनदेखी कर मौके का गवाहों की उपस्थिति में नजरी नक्शा न बनाकर बिना किसी वनाधिकारी के बयानों को अंकित किए ही विपक्षी से मिलकर न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी। इस कारण अभियोजन ने विवेचनाधिकारी-राजस्व उप निरीक्षक मझेड़ा द्वारा 8 जुलाई 2019 को न्यायालय में प्रस्तुत की गई अंतिम रिपोर्ट को निरस्त किये जाने की आवश्यक जताई।
अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय ने 8 जुलाई की अंतिम अन्वेषण रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए संबंधित थाना-पट्टी के भारसाधक अधिकारी को आदेशित किया है कि मामले में स्वयं अथवा सक्षम प्राधिकारी से विधिवत अग्रेतर विवेचना कर न्यायालय में आख्या प्रस्तुत करें।
नाप भूमि की खरीद-बिक्री के नाम पर वन भूमि पर हो रही भूमाफिया के द्वारा खरीद फरोख्त
बताया जा रहा है कि हरतोला क्षेत्र में बड़े पैमाने पर स्थानीय लोग अपनी नाप भूमि के नाम पर भूमाफिया एवं बाहरी लोगों को बेनाप, वन पंचायत की एवं वन भूमि बेच रहे हैं। इन पर भूमाफिया अवैध तरीके से रातों-रात कब्जा कर सड़क-संपर्क मार्ग भी खुद ही जेसीबी की मदद से बना रहे हैं।
पूर्व सरपंच गणेश दत्त भट्ट ने बताया कि हरतोला में जिस मार्ग पर पेड़ काटे जाने की शिकायत उन्होंने की थी, वहां ग्रामीणों को भ्रमित कर भूमाफिया ने सरकारी बताकर खुद अपने रिजॉर्ट तक रोड बनाई। क्षेत्र में और भी बड़े पैमाने पर भूमाफिया सक्रिय हैं, और वन भूमि पर कब्जे कर रहे हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. नवीन जोशी

