किशाऊ बांध परियोजना पर मुख्यमंत्री ने रखा उत्तराखंड का पक्ष

किशाऊ बांध परियोजना पर मुख्यमंत्री ने रखा उत्तराखंड का पक्ष


किशाऊ बांध परियोजना पर मुख्यमंत्री ने रखा उत्तराखंड का पक्ष


देहरादून, 21 सितम्बर(हि.स.)। मुख्यमंत्री उत्तराखंड को नये आयाम देने पर जुटे हुए हैं। इसका प्रमाण नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में किसाऊ बांध बहुद्देशीय परियोजना पर हो रही बैठक में प्रदेश का बहुत मजबूती से पक्ष रखा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने वर्चुअल प्रतिभाग किया। इसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने परियोजना के संबंध में अपने-अपने राज्य का पक्ष रखा।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह राष्ट्रीय परियोजना, उत्तराखंड के विकास हेतु मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि परियोजना विकास की अवधि में स्थानीय निवासियों व ग्रामीणों को आय वृद्धि के विभिन्न संसाधन यथा स्थाई व अस्थाई रोजगार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध होंगे। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि बुधवार की बैठक में उठाए गए बिंदुओं पर विचार विमर्श कर जल्द ही अगली बैठक की जाएगी।

किशाऊ बहुउद्देशीय बांध परियोजना के क्रियान्वयन का कार्य उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम किशाऊ कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना को फरवरी 2008 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है। किशाऊ बांध परियोजना एशिया का दूसरी सबसे बड़ी बांध परियोजना होगी। जिसे इसकी ऊंचाई 236 मीटर एवं लम्बाई 680 मीटर होगी।

किशाऊ परियोजना उत्तराखंड राज्य के जनपद देहरादून एवं हिमाचल प्रदेश के जनपद सिरमौर में टोंस नदी पर प्रस्तावित है। इसमें 1324 एमसीएएम जीवत भण्डारण द्वारा 97076 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई, 617 एमसीएम पेयजल एवं औद्योगिक उपयोग हेतु जल प्राप्त होगा, जिससे तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान की सिंचाई आवश्यकता और दिल्ली की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति की जा सकेगी। साथ ही साथ 660 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन होगा, जिससे 1379 एमयू हरित विद्युत ऊर्जा प्राप्त होगी जो कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को बराबर-बराबर प्राप्त होगी।

केन्द्रीय जल आयोग द्वारा परियोजना की कुल लागत मार्च, 2018 के मूल्य स्तर के अनुसार रुपये 11550 करोड़, जिसमें जल घटक की लागत रु.10013.96 करोड़ और विद्युत घटक की लागत रु. 1536.04 करोड़ ाकी गई है। वर्तमान में परियोजना की डीपीआर का कार्य प्रगति पर है, जिसमें परियोजना की लागत बढ़ने का अनुमान है। राष्ट्रीय परियोजना होने के दृष्टिगत परियोजना के क्रियान्वयन हेतु जल घटक लागत (सिचाई एवं पीने का पानी) का 90 फसीद वित्तीय पोषण भारत सरकार द्वारा एवं 10 फीसद वित्तीय पोषण लाभार्थी राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा।

बैठक में उत्तराखंड से सचिव आर मीनाक्षी सुन्दरम, हरि चंद्र सेमवाल व जलशक्ति मंत्रालय भारत सरकार के अधिकारी उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती

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