1970 की फिल्म 'बाॅबी' मचाएगी धमाल, भूली-बिसरी यादें ताजा करेगी 'वो भी क्या दिन थे'

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1970 की फिल्म 'बाॅबी' मचाएगी धमाल, भूली-बिसरी यादें ताजा करेगी 'वो भी क्या दिन थे'


- दून पुस्तकालय में आठ मई को होगा पांच दिवसीय लघु ग्रीष्म कला उत्सव-1 का आगाज

- कवियों-साहित्यकारों का होगा समागम, कलाकार छेड़ेंगे शास्त्रीय संगीत के स्वर

देहरादून, 07 मई (हि.स.)। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आठ मई से 12 मई तक लघु ग्रीष्म कला उत्सव-1 का आयोजन किया जाएगा। लैंसडाउन चौक स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार में आयोजित होने वाले लघु ग्रीष्म कला उत्सव में पांच दिनों तक कला, नृत्य, संगीत, फोटोग्राफी और साहित्य पर प्रस्तुति, वृत्त चित्र प्रदर्शन और बातचीत होगी। यह आयोजन सुबह 11ः30 बजे व शाम साढ़े चार बजे दो सत्रों में होंगे।

पहले दिन प्रातःकालीन सत्र में सन् 1970 की धमाकेदार फिल्म ‘बाॅबी’ का प्रदर्शन किया जाएगा। सांध्यकालीन सत्र में ‘वो भी क्या दिन थे’ कार्यक्रम होगा। इसमें देहरादून शहर के बंद पड़े सिनेमाघरों की भूली-बिसरी यादों पर प्रभात सिनेमा के प्रमुख रहे दीपक नागलिया से बिजू नेगी की बातचीत होगी। अगले दिन नौ मई को विद्यार्थियों के लिए लघु फिल्म पर आधारित आशु भाषण प्रतियोगिता और तीन वृत चित्रों यथा ‘बेगम अख्तर जिक्र उस परिवश का’ (64 मिनट, निर्मल चंदर), ‘नोट्स ऑन गुलेर’ (55 मिनट, अमित दत्ता) और ‘पिलग्रिम्स प्रोग्रेस’ (13मिनट, शाश्वती तालुकदार) का प्रदर्शन किया जाएगा। 10 मई को छात्रों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता होगी और तीन वृत चित्रों यथा ‘जनानीज़ जूलियट’ (53 मिनट, पंकज ऋषि कुमार),‘द जर्नी फ्रॉम सदीर टू भरतनाट्यम’ (26 मिनट,विवेका चैहान ) व ‘कूथु’ (53 मिनट, संध्या कुमार) का प्रदर्शन किया जाएगा।

11 मई को पुस्तक विमर्श कार्यक्रम होगा। इसमें वरिष्ठ हिन्दी कवि लीलाधर जगूड़ी, साहित्यकार शैलेय, धीरेंद्रनाथ तिवारी, नवीन कुमार नैथानी, शिक्षाविद् सविता मोहन व रंगकर्मी सुवर्ण रावत के साथ सुपरिचित कथाकार हरिसुमन बिष्ट के उपन्यास ‘बत्तीस राग गाओ मोला’ पर बातचीत होगी। संचालन भारती आनंद करेंगी। 12 मई को बच्चों के लिए कहानी वाचन व पाठ होगा। इसमें हबीब तनवीर के चरणदास चोर पर आधारित कहानी के उद्धरित अंशों का वाचन सिद्धांत अरोड़ा व साथी करेंगे। इसके अलावा संगीत कार्यक्रम होगा। इसमें भोपाल से आईं सुप्रसिद्ध गायिका नगीन तनवीर छत्तीसगढ़ी लोकगीत और शास्त्रीय संगीत पर अपनी बेहतरीन प्रस्तुति देंगी।

समय-समय पर दून पुस्तकालय में होते हैं ऐसे आयोजन-

दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से समय-समय पर पुस्तक वाचन और चर्चा, वृत्त चित्र फिल्म, लोक परंपराओं और लोक कलाओं, इतिहास, सामाजिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित कार्यक्रमों के साथ शास्त्रीय संगीत से जुड़ी महत्वपूर्ण प्रस्तुतियां दी जा रही है। संस्थान के नए सभागार में जनवरी 2023 से अब तक वार्ता-व्याख्यान, फिल्म प्रदर्शन, पुस्तक लोकार्पण व चर्चा-गोष्ठी पर केंद्रित कुल 115 से अधिक कार्यक्रम हो चुके हैं। खास बात यह है कि जनसामान्य के बीच इन कार्यक्रमों की उपयोगिता भी निरंतर देखने को मिल रही है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/रामानुज

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