प्राकृतिक चिकित्सा ही स्वस्थ रहने का स्थाई विकल्प : ईश्वर भारद्वाज
हरिद्वार, 13 दिसंबर (हि.स.)। बढ़ता तनाव, अनियमित दिनचर्या,प्रदूषण एवं जीवनशैली संबंधी विकार आधुनिक मानव के स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौती बन चुके हैं। ऐसे में योग,प्राणायाम,प्राकृतिक चिकित्सा एवं सनातन उपचार पद्धतियां मानवता के लिए आशा की किरण के रूप में उभर रही हैं। प्राकृतिक चिकित्सा ही स्वस्थ रहने का स्थाई विकल्प है। यह बातें हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वद्यालय के प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने शनिवार को एक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कही। योग विज्ञान विभाग, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय एवं योग अध्ययन केंद्र, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में 'वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्राकृतिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा का स्वास्थ्य संरक्षण में योगदान' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में किया गया। कार्यक्रम में देशभर से आए 250 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की। आयोजन सचिव प्रो. लक्ष्मीनारायण जोशी, विभागाध्यक्ष, योग विज्ञान विभाग ने प्राकृतिक, योगिक, आयुर्वेदिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों के समन्वय की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि वर्तमान समय में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के समाधान के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नाड़ी चिकित्सा से जटिल रोगों का स्थाई उपचार संभव है। आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. कामाख्या कुमार ने कहा कि ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोग महंगे आधुनिक उपचारों तक आसानी से नहीं पहुंच पाते,ऐसे में योग,आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा उनके लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार त्यागी ने प्राकृतिक चिकित्सा को सहज, सुलभ और उपयोगी बताया। सह आयोजक डॉ. चर्चित कुमार ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक एवं वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापक शोध की संभावनाएं मौजूद हैं, विशेषकर मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, मानसिक तनाव एवं नींद संबंधी विकारों के संदर्भ में। संगोष्ठी के दौरान अन्य विशेषज्ञों द्वारा प्राकृतिक चिकित्सा, योग चिकित्सा, आयुर्वेद, सुगंध चिकित्सा, जल चिकित्सा, आहार चिकित्सा, पंचकर्म पर आधारित शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में विशेषज्ञों द्वारा व्यावहारिक प्रदर्शन के जरिये प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत मड थेरेपी, जल चिकित्सा, सूर्य चिकित्सा, योगासन एवं प्राणायाम की वैज्ञानिक विधियों को विस्तार से समझाया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ.सूर्य प्रकाश रतूड़ी,डॉ.चंद्रशेखर शर्मा,डॉ.सुमन भट्ट,उपकुलसचिव संदीप भट्ट, सहायक कुलसचिव संदीप कुमार सहित अनेक शोध छात्र,विभिन्न संस्थानों से आए प्रतिनिधि, योग प्रशिक्षक तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

