नारायण सेवा संस्थान : 102 दिव्यांगों का सूना जीवन बनेगा सतरंगी, 51 जोड़ों का विवाह एक को
उदयपुर, 29 अगस्त (हि.स.)। शहनाई के मुबारक के स्वर, मेहंदी रची हथेलियां, कल्पना से भी परे जीवंत होने वाले सुनहरे पल, खुशियों और उल्लास की वह मंगल वेला अब ज्यादा दूर नहीं है, जब दिव्यांग एवं निर्धन जोड़े पवित्र अग्नि के सात फेरे लेकर जन्म-जन्म के साथी बन जाएंगे। विवाह स्थल के लिए विशाल पंडाल सज गया है, तैयारी और उत्साह चरम पर है। दूल्हा-दुल्हन, दोस्त-रिश्तेदार और देश के विभिन्न राज्यों से धर्म-पिता बनने वाले कन्यादानियों के उदयपुर पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है।
यह शुभ अवसर आपके अपने ही नारायण सेवा संस्थान द्वारा लियों का गुड़ा, बड़ी स्थित सेवामहातीर्थ परिसर में 31 अगस्त व एक सितंबर को होने वाले 42वें निशुल्क दिव्यांग तथा निर्धन सामूहिक विवाह का है। इसमें देशभर से दिव्यांग एवं गरीब परिवारों के 51 जोड़े विवाह सूत्र में बंध गृहस्थ जीवन में प्रवेश करेंगे।
नारायण सेवा संस्थान के मीडिया प्रभारी विष्णु शर्मा हितैषी ने बताया कि समारोह की भव्य और व्यापक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। विवाह स्थल पर विशाल एवं भव्य डोम बनाया गया है। जोड़ो व उनके परिजनों का संस्थान के वाहनों से यहां पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। समारोह में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा सहित देश के विभिन्न राज्यों के जोड़े एक-दूसरे के जीवन साथी बनेंगे। इनमें कई दूल्हा-दुल्हन जन्मजात या फिर किसी दुर्घटना की वजह से निःशक्तता का दंश झेल रहे हैं तो कुछ भावी जोड़े ऐसे भी है जिनमें एक दिव्यांग है तो साथी सकलांग है। शहनाई के स्वर और मेहंदी की लालिमा उनके जीवन के सुनेपन को सदा के लिए दूर कर नए रंगों से सराबोर कर देगी।
किसी का भावी जीवन साथी जन्मजात प्रज्ञाचक्षु है, तो उसका साथी अपनी आंखों से उसकी राहों को रोशन कर देगा। कोई एक पांव से असक्षम है तो कोई दोनों पांव से जिसका साथी उसका सहारा बनकर गृहस्थी के सुंदर सपने बुनने को उत्साहित है। यह सभी मन में उमंग लेकर बीते कल की कड़वी यादों को भूलकर नए स्वर्णिम जीवन की शुरुआत करेंगे। इन जोड़ों में 26 दिव्यांग एवं 25 गरीब परिवारों के जोड़े हैं। विवाह स्थल पर 51 वेदियां तैयार की गई है, प्रत्येक वेदी पर अग्निकुंड के सात वचनों व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सात फेरे दिलवाने के लिए आचार्य मौजूद रहेंगे। विवाह की सभी रस्में पूर्ण विधि- विधान से हो इसके लिए एक मुख्य आचार्य भी मार्गदर्शन के लिए नियुक्त किया गया है।
सामूहिक विवाह के संयोजक रोहित तिवारी ने कहा विवाह समारोह की शुरुआत 31 अगस्त को प्रातः गणपति स्थापना, हल्दी व मेहंदी रस्म अदायगी के साथ होगी। शाम को महिला संगीत का आयोजन होगा। जिसमें देशभर से मेहमान और धर्म माता-पिता व कन्यादानी जन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
संस्थान के जनसंपर्क प्रमुख एवं प्रवक्ता भगवान प्रसाद गौड़ ने बताया कि 1 सितंबर को प्रस्तावित इस बार विवाह समारोह की थीम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र जी मोदी के आव्हान 'एक पेड़ मां के नाम' है। जिसमें विवाहपरांत प्रतीकात्मक रूप से पौधा रोपण के बाद हर जोड़े को विभिन्न प्रजातियों का एक-एक पौधा प्रदान किया जाएगा ताकि वे अपने विवाह की स्मृति में उसे अपने घर-आंगन में रोप सकें और विवाह की मधुर स्मृतियों को सदा संजोकर हरे-भरे पेड़ की ही भांति अपना दांपत्य जीवन भी ख़ुशहाल बनाएं।
उन्होंने बताया कि विवाह की वेदी पर अग्नि के सात फेरे लेने की रस्म से पूर्व दूल्हे परंपरागत तोरण रस्म का निर्वाह करेंगे इसके पश्चात सजे-धजे मंच पर गुलाब की पुष्पवर्षा के बीच जोड़ों के वरमाल की रस्म अदायगी होगी। इस दौरान संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश 'मानव' सहसंस्थापिका कमला देवी, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल व आमंत्रित अतिथि दीप प्रचलन के साथ नव दंपतियों को आशीर्वाद प्रदान करेंगे। प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया प्रभारी विष्णु शर्मा हितैषी, जनसम्पर्क प्रमुख भगवान प्रसाद गौड़ एवं सामूहिक विवाह संयोजक रोहित तिवारी द्वारा पोस्टर जारी किया गया। विवाह में कन्यादानियों (धर्म-पिता), जोड़ों के परिजनों व पूर्व में संस्थान के सामूहिक विवाह में विवाहित जोड़ों में से जो आएंगे उनका सम्मान किया जाएगा। संपूर्ण आयोजन का सीधा प्रसारण विभिन्न माध्यमों से किया जाएगा।
इस सामूहिक विवाह में दिल्ली, अहमदाबाद, गुजरात, जयपुर, लखनऊ, रायपुर, कोलकाता, रांची, चंडीगढ़, भोपाल, इंदौर, मुंबई, हैदराबाद, शिमला आदि शहरों से 1500 से अधिक घराती-बाराती बन समारोह में भाग लेंगे। संस्थान ने इस दो दिवसीय भव्य विवाह समारोह की सफलतापूर्वक संपन्न करने के लिए सेवा महातीर्थ में कंट्रोल रूम बनाया है। जिसमें अतिथियों और विवाह बंधन में बंध रहे जोड़ो और परिजनों को हर संभव मदद की जाएगी। विभिन्न कमेटियाँ गठित की गई है जिनमें स्वागत- सम्मान, अतिथि पंजीयन, अल्पाहार-भोजन, स्वच्छता, परिवहन, अतिथि आवास, वर-वधु परिजन आवास, सुरक्षा, चिकित्सा, बिजली, पानी, महिला संगीत बैठक व मंचीय व्यवस्था आदि प्रमुख हैं।
विदाई आैर पाणिग्रहण संस्कार के बाद नव युगलों को सस्नेह विदाई दी जाएगी। वधुओं को डोली में बिठाकर परिसर के बाहर खड़े वाहनों तक विदा किया जाएगा। वहां से वे अपने-अपने साजन के घर को प्रस्थान करेंगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित
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