दो दिवसीय सामुदायिक रेडियो कार्यशाला की शुरुआत
जयपुर, 9 सितंबर (हि.स.)। सामुदायिक रेडियो स्टेशन स्थापित करने की प्रक्रिया और अंतिम मील कनेक्टिविटी बनाने की क्षमता पर चर्चा और इसका व्यापक प्रसार करने के उद्देश्य से सोमवार को जयपुर में सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कार्यशाला आयोजित की गई। सीकिंग मॉडर्न एप्लीकेशन फॉर रियल ट्रांसफॉर्मेशन (स्मार्ट) नई दिल्ली और स्थानीय भागीदार के रूप में रेडियो 7 राजस्थान के सहयोग से इस दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
पत्र सूचना कार्यालय भारत सरकार की अपर महानिदेशक ऋतु शुक्ला ने इस दो दिवसीय सामुदायिक रेडियो जागरूकता कार्यशाला के उद्घाटन भाषण में कहा कि आज का दौर ग्लोबल से लोकल का दौर है, जिसके फलस्वरूप सामुदायिक रेडियो का महत्व बहुत बढ़ जाता है क्यूंकी वह हर व्यक्ति से अपने स्तर पर संपर्क स्थापित कर सकता है। उन्होने कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं, जो मीडिया से अभी भी अछूते हैं और वहाँ सामुदायिक रेडियो स्टेशन के द्वारा मुख्यधारा में जोड़े जा सकते हैं। सूचना के बढ़ते चैनलों के बावजूद इसकी प्रासंगिकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि सामुदायिक रेडियो सूचना का एक विश्वसनीय स्रोत हैं, इसलिए जब वे कुछ कहते हैं तो समुदाय सुनता है।
कार्यशाला के उदघाटन सत्र में सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के अतिरिक्त निदेशक जीएस केसरवानी ने बताया कि भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पूरे देश में सामुदायिक रेडियो स्टेशन जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मीडिया से वंचित जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार हर जिले में कम से कम एक सी आर स्टेशन रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि हाल ही में संशोधित नीति दिशानिर्देशों ने एक संगठन द्वारा छह स्टेशन स्थापित करने की अनुमति दी है, जबकि पहले एक संगठन में केवल एक स्टेशन होता था।
कार्यशाला की शुरुआत उद्घाटन भाषण से हुई। स्मार्ट की संस्थापक अर्चना कपूर ने स्थानीय आवाज़ों को सशक्त बनाने में सामुदायिक रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर देकर दिया। उन्होंने बताया कि सामुदायिक रेडियो का माध्यम व्यक्तियों, समूहों और समुदायों को अपनी कहानियाँ सुनाने, अनुभव साझा करने और सामग्री निर्माता बनने में सक्षम बनाता है, विशेष रूप से उन मुद्दों को संबोधित करता है जो स्थानीय लोगों के लिए लोकप्रिय और प्रासंगिक हैं, लेकिन मुख्य धारा के मीडिया में कोई स्थान नहीं पाते हैं।
इस कार्यशाला में राजस्थान, गुजरात और हरियाणा से 45 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इन सभी प्रतिभागियों ने अपने राज्यों में आदिवासी, सामाजिक और विकास के मुद्दों के साथ-साथ किसान विज्ञान केंद्रों पर काम करने वाले जमीनी स्तर के समुदाय-आधारित संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व किया। यहां सामुदायिक रेडियो से जुड़े विभिन्न वर्गों के लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। जिनमें उन्होंने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, महिला सशक्तिकरण, और आपदा प्रबंधन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और उन्हें सशक्त बनाने में मदद कर सकता है। सुदूर क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो की अपनी एक बड़ी भूमिका है। इस कार्यशाला में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यशाला के द्वितीय सत्रह में प्रतिभागियों को रेडियो 7 के फील्ड विजिट के लिए ले जाया गया, जहां उन्हें स्टूडियो, लाइव प्रसारण और कंटेंट डेवलपमेंट की चुनौतियों से अवगत कराया गया। बीईसीआईएन द्वारा एक तकनीकी सत्र भी आयोजित किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित
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