देवशयनी एकादशी : ठाकुर जी का विशेष श्रृंगार कर धारण करवाई नवीन नटवर वेशभूषा
जयपुर , 17 जुलाई (हि.स.)। आषाढ़ शुक्ल एकादशी बुधवार को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाई गई। मंदिरों में विशेष आयोजन हुए। आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में सुबह मंगला झांकी के बाद पांच बजे पंचामृत से ठाकुर जी का अभिषेक किया गया। जिसके पश्चात ठाकुरजी को लाल रंग की नवीन नटवर वेशभूषा धारण कराकर गोचारण लीला के आभूषण पहनाए गए।
गोविंद देवजी मंदिर में शाम पौने पांच से लेकर पांच बजकर 35 मिनट तक देवशयनी पूजा की गई। जिसमें भक्तों के लिए दर्शन बंद रहे और मंदिर के पट बंद रहें। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि शालिग्राम भगवान को चांदी के रथ में विराजमान कर दक्षिण-पश्चिम कोने स्थित तुलसा मंच ले जाया गया, यहां मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी पंचामृत से शालिग्राम का अभिषेक किया। इसके बाद शालिग्राम भगवान को चांदी के खाट पर शयन कराकर पुन: मंदिर की परिक्रमा कर गर्भगृह में शयन का भाव कराया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं को संध्या झांकी के दर्शन हुए। एकादशी पर ठाकुर जी को बिजौना दाल, पंचमेवा और फलों का भोग अर्पण किया गया।
सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री शुक संप्रदाय की प्रधान पीठ श्री सरस निकुंज में देवशयनी एकादशी पर ठाकुर श्री राधा सरस बिहारी सरकार का पुष्प श्रृंगार किया गया। संध्या के समय पदावलियों के गायन के साथ शालिग्राम जी स्वरूप ठाकुर को पोढावनी कराई गई। श्री शुक सम्प्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज ने मधुर मिष्ठान और पंचमेवा अर्पित किए। श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि बड़ी संख्या में वैष्णव भक्तों ने ठाकुरजी की झांकी के दर्शन किए।
इसके अलावा चौड़ा रास्ता के मंदिरश्री राधा दामोदरजी, बड़ी चौपड़ स्थित लक्ष्मीनारायण बाईजी के मंदिर, पुरानी बस्ती के गोपीनाथजी मंदिर, गलता स्थित सीतारामजी के मंदिर,रामगंज के लाड़लीजी मंदिर,चादंनी चौक स्थित ब्रजनिधिजी मंदिर, गोनेर रोड स्थित श्री राधा गोविन्द मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों में भी देवशयनी एकादशी पर विशेष आयोजन हुए।ठाकुर जी को विशेष प्रकार के भोग अर्पित कर आरती उतारी गई।
एकादशी पर छोटीकाशी के सभी श्याम मंदिरों में उत्सव मनाया गया। सुबह से शाम तक दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। वहीं, सभी श्याम मंडलों की ओर से अलग-अलग स्थानों पर भजन संध्याओं का आयोजन किया गया। इसी कड़ी में कांवटियों का खुर्रा रामगंज बाजार स्थित प्राचीन श्री श्याम मंदिर में महंत पं.लोकेश मिश्रा के सान्निध्य में एकादशी उत्सव मनाया गया। श्री श्याम छवि का फूलों से आकर्षक श्रृंगार कर अखंड ज्योति प्रज्जवलित की गई। शालू मिश्रा की अगुवाई में श्री श्याम महिला मंडल की सदस्याओं ने भजनों की प्रस्तुतियां दीं।
गलता गेट स्थित गीता गायत्री श्याम मंदिर में पं. राजकुमार चतुर्वेदी के सान्निध्य में श्याम प्रभु का मनमोहक श्रृंगार कर फलों का भोग लगाया गया। म्हारे घरां पधारो श्याम संस्था की ओर से अग्रवाल फार्म मानसरोवर स्थित श्याम पार्क में भजन संध्या का आयोजन किया गया। अध्यक्ष रतन कट्टा ने बताया कि हारे के सहारे का मनमोहक श्रृंगार कर अखंड ज्योति प्रज्वलित की गई। अनेक श्याम प्रेमियों ने भजनों की स्वर लहरियां बिखेरी। श्री श्याम अनमोल सेवा रत्न परिवार की ओर से एकादशी को घीया मार्ग बनीपार्क स्थित एसडीसी गेटवे पर एकादशी उत्सव मनाया गया। श्याम प्रभु का दरबार सजाकर श्याम प्रभु का गुणगान किया गया। राजेश अटोलिया, के के खंडेलवाल,कमल अग्रवाल, अनिल राजोरिया, रमाकांत खंडेलवाल सहित अन्य ने श्याम प्रभु की आरती की। पुष्प और इत्र वर्षा के बीच भजनों की स्वर लहरियां गूंजती रही।
विजय बाड़ी पथ नंबर सात स्थित श्याम मंदिर में खाटू नरेश का कोलकाता से मंगाए फूलों से मनमोहक श्रृंगार किया गया। बाहर से आए कलाकारों ने लखदातार का भजनों से गुणगान किया। इससे पूर्व गाजे-बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई।
देवशयनी एकादशी पर अबूझ सावा होने से रही शादियों की धूम
वहीं देवशयनी एकादशी पर अबूझ सावा होने से शादियों की धूम रही। विवाह स्थल, सामुदायिक केंद्रों पर भारी रौनक रही। गार्डनों में मेहंदी, महिला संगीत, तिलक दस्तूर, बान सहित अन्य रस्में हुई। देवशयनी एकादशी पर कई समाजों के सामूहिक विवाह सम्मेलन में कई जोड़े परिणय सूत्र में बंधें। इसी के साथ ही चार माह तक विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया। वहीं चातुर्मास भी शुरू होने जा रहे है जो कार्तिक शुक्ल एकादशी पर समाप्त होगा। इन चार महीनों में केवल धार्मिक कार्यक्रम ही होंगे। इस दौरान शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य व अन्य शुभ काम बंद रहेंगे। इस दिन से साधु-संत चार मास तक एक ही स्थान पर ठहर कर धर्म ध्यान करेंगे। लोगों को साधु-संतों, धार्मिक गतिविधियों व सत्संग का पुण्य लाभ प्राप्त होगा। इस अवधि में देवी-देवताओं की आराधना, तपस्या, हवन-पूजन का दौर रहेगा। इस अवधि में धार्मिक अनुष्ठान, कथा आयोजन, पूजन व यज्ञ आदि किए जा सकेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश सैनी / संदीप
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