डिजिटल गवर्नेंस से बदली तस्वीर: प्रदेश के राजस्व में हुई वृद्धि
जयपुर, 17 दिसंबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया और गुड गवर्नेंस के संकल्प को साकार करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान सरकार ने राजस्व सुधार और वृद्धि के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। डिजिटलाइजेशन और तकनीक के प्रयोग से जीएसटी, स्टैम्प, पंजीकरण, आबकारी, खनन, ऊर्जा तथा परिवहन जैसे क्षेत्रों में पारदर्शिता आई है। सरकार के नियमों एवं आदेशों की पालना सुनिश्चित हुई है तथा फर्जी बिलिंग और अवैध खनन जैसी गतिविधियों पर नियंत्रण लगा है। इससे राजस्व संग्रह दक्षता बढ़ी है तथा प्रदेश की वित्तीय क्षमता में वृद्धि हुई है।
राज्य सरकार द्वारा निरंतर प्रयास कर टैक्स और नॉन टैक्स श्रेणियों में संरचनात्मक सुधारों को अमल में लाया गया, डिजिटल मॉनिटरिंग सुनिश्चित की गई तथा डेटा के आधार पर कार्य योजनाएं बनाई गई। इसी का परिणाम है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य के कुल राजस्व में पिछले वर्ष की तुलना में 12.60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
राज्य सरकार ने टैक्स एवं नॉन-टैक्स दोनों श्रेणियों में व्यापक सुधार करते हुए डिजिटल निगरानी और डेटा एनालिटिक्स का प्रभावी उपयोग किया है। इसके साथ ही फर्जी बिलिंग, अवैध खनन तथा अन्य राजस्व लीकेज गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण स्थापित किया गया है। इन प्रयासों से राजस्थान के राजस्व संग्रह में निरंतर और मजबूत वृद्धि संभव हुई है। प्रदेश को पिछले वर्ष की तुलना में 14 हजार 200 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है।
विभाग द्वारा रेवेन्यू इंटेलीजेंस आधारित विश्लेषण को सुदृढ़ कर 45 से अधिक डेटा ड्रिवन रिपोर्ट्स तैयार की गई, जिनसे फर्जी बिलिंग की पहचान संभव हुई और इस पर प्रभावी रोक लगी। इसके अतिरिक्त ई-वे बिल मिलान, रिटर्न प्रोफाइलिंग तथा आधुनिक आईटी टूल्स के माध्यम से हाई रिस्क करदाताओं की निगरानी कर आवश्यक कार्रवाई की गई। आईटी आधारित निगरानी से संदिग्ध एवं फर्जी पंजीकरणों की पहचान कर उन्हें निरस्त करने की कार्रवाई भी की गई, जिससे कर प्रणाली अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनी है। राज्य सरकार द्वारा आईटीएमएस जैसे नवाचारों के माध्यम से व्यापारियों के लिए फाइलिंग प्रक्रिया को सरल और सहज बनाया गया है। इससे व्यापारियों द्वारा राजस्व नियमों की अनुपालना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
पिछले दो वर्षों में आबकारी विभाग द्वारा अवैध शराब निर्माण, परिवहन और बिक्री पर नियंत्रण के लिए इंटेलिजेंस आधारित सघन अभियान चलाए गए हैं। इन कार्रवाईयों के दौरान बड़ी मात्रा में अवैध शराब की जब्ती और अवैध भट्टियां को नष्ट कर तस्कर गिरोहों पर कठोर कार्रवाई की गई, जिससे राजस्व लीकेज को प्रभावी रूप से रोका गया।
राज्य सरकार द्वारा तकनीकी सुधारों को अपनाते हुए ई-एक्साइज प्रणाली, क्यूआर आधारित ट्रैकिंग, डिजिटल परमिट सिस्टम और एंड-टू-एंड सप्लाई चेन मॉनिटरिंग को लागू किया। विभाग द्वारा इन तकनीकी सुधारों से आबकारी व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ी और अनुपालन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसके अलावा शराब दुकानों के आवंटन में मानवीय हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को खत्म करते हुए ई-लॉटरी प्रणाली को अपनाया गया है। इससे लाइसेंसिंग प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी बनी है।
राज्य में स्टांप एवं पंजीकरण में डिजिटल सुधारों के प्रत्यक्ष सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। ई-पंजीयन, ई-ग्रास, राज स्टाम्प और 181 हेल्पडेस्क जैसी ऑनलाइन प्रणालियों के माध्यम से रजिस्ट्री प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और सरल बनाया गया है। इससे नागरिकों के समय और लागत दोनों की बचत हुई है। गत दो वर्षों में विभाग द्वारा 50 लाख से अधिक दस्तावेजों का पंजीकरण किया गया है, जिससे 20 हजार 599 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ।
राज्य सरकार द्वारा सड़क की चौड़ाई और वास्तविक निर्माण लागत के आधार पर डीएलसी दरों को न्यायसंगत बनाया गया है। इसके साथ ही परिवार में संपत्ति हस्तांतरण, महिलाओं के नाम संयुक्त रजिस्ट्री, छोटे फ्लैटों की खरीद, टीडीआर और डेबट असाइनमेंट पर स्टांप ड्यूटी में भी महत्वपूर्ण रियायतें प्रदान की गई हैं।
इसके अलावा भूमि कर और स्टांप ड्यूटी से जुड़े पुराने विवादों के समाधान के लिए विभिन्न एमनेस्टी योजनाएं लागू की गई। जिससे उद्योगों और आम नागरिकों को बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में 10 मिनी सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों को मॉडल ऑफिस के रूप में विकसित किया गया है। शेष 106 कार्यालयों को भी इसी श्रेणी में लाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

