कैनवास पर घोड़े की शक्ति और शौर्य की गाथा साकार

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कैनवास पर घोड़े की शक्ति और शौर्य की गाथा साकार


जयपुर, 13 दिसंबर (हि.स.)। शहर के तेजी से उभरते कलाकार मनीष कुमावत ने अपनी कलात्मक पेंटिंग्स में घोड़े के रूप, शौर्य, और उसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भूमिका को बखूबी चित्रों में दर्शाया है। जवाहर कला केंद्र की चतुर्दिक आर्ट गैलेरी में शनिवार से उनकी तीन दिवसीय 'ऊर्जा-द्वितीय' कला प्रदर्शनी की शुरुआत हुई।

प्रदर्शनी का उदृघाटन वरिष्ठ कवि, कथाकार और कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल ने किया। इसमें कलाकार मनीष कुमावत ने हॉर्स पर बनी सीरीज में करीब 200 से अधिक पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया है। कलाकार ने घोड़े को विभिन्न दृष्टिकोणों से दिखाते हुए उसकी ऐतिहासिक अहमियत, उसकी सुंदरता, शक्ति या फिर उसकी प्रकृति से जुड़ी संवेदना को कैनवास पर अनोखे अंदाज में साकार किया।

पेंटिंग को दुनिया का सबसे अनमोल तोहफा मानने वाले कलाकार मनीष कुमावत ने प्रदर्शनी में कलर और ब्लैक एंड व्हाइट थीम पर पेंटिंग्स बनाई हैं। कैनवास पर उनकी पेटिंग्स की श्रृंखला किसी अनोखी कलाकृतियों से कम नहीं है। हर एक पेंटिंग्स बहुत कुछ कहती है। जैसे कि घोड़े की शक्ति, गति, और शौर्य को अभिव्यक्त करने वाले चित्र या फिर उसकी मासूमियत और सौंदर्य को दर्शाने वाले नजारे दर्शकों को आकर्षित करते हैं। मनीष ने बताया कि घोड़ा मानव सभ्यता का अभिन्न हिस्सा है और यह कला का एक प्रभावशाली प्रतीक बन सकता है, जो मनुष्य और प्रकृति के बीच के संबंध को उजागर करता है।

कलाकार ने शक्तिशाली प्राणी की सुंदरता, शक्ति, और भावनाओं को अपनी कला के माध्यम अभिव्यक्त किया। उन्होंने अपनी कृतियों में घोड़े के चित्रण को प्रमुख स्थान दिया है। उनके बनाए गए चित्र घोड़े की शक्ति और उसकी सुंदरता को दर्शाते हैं। उनकी कई कृतियां घोड़े के सुंदर रूपों और उनके साथ के परिदृश्यों को प्रदर्शित करती हैं। उनकी कला में घोड़े का स्थान न केवल शारीरिक रूप में बल्कि भावनात्मक रूप में भी महत्वपूर्ण है। उनके एक प्रसिद्ध चित्र में एक घोड़ा बेहद सुंदरता और यथार्थवाद के साथ दिखाया गया है। यह कला प्रदर्शनी 15 दिसंबर तक दर्शकों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

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