अरावली में खनन को मंजूरी के खिलाफ प्रदेशभर में उबाल, कई जिलों में प्रदर्शन, पुलिस से झड़प

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अरावली में खनन को मंजूरी के खिलाफ प्रदेशभर में उबाल, कई जिलों में प्रदर्शन, पुलिस से झड़प


जयपुर, 22 दिसंबर (हि.स.)। अरावली पर्वत श्रंखला में खनन को मंजूरी मिलने के विरोध में सोमवार को राजस्थान के कई जिलों में जनआक्रोश देखने को मिला। कांग्रेस कार्यकर्ताओं, सामाजिक संगठनों और पर्यावरण प्रेमियों ने अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन कर फैसले को वापस लेने की मांग की। कई स्थानों पर पुलिस से धक्का-मुक्की हुई, वहीं कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया। अरावली बचाओ अभियान के तहत उदयपुर, जोधपुर, सीकर सहित कई जिलों में सोमवार

को लोगों ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। उदयपुर में कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन

के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प हो गई।

उदयपुर में कांग्रेस और विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग अरावली बचाने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हो गई। स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की। सीकर में 945 मीटर ऊंचाई पर स्थित हर्ष पर्वत पर पर्यावरण प्रेमियों ने एकजुट होकर अरावली बचाओ अभियान के तहत प्रदर्शन किया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवन रेखा है। इसे नुकसान पहुंचाना प्रदेश के पर्यावरण और भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा।

जोधपुर में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने अरावली के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ता बेरिकेड्स पर चढ़ गए और हटने से इनकार कर दिया। पुलिस की समझाइश के बाद भी स्थिति नहीं संभली तो पुलिस ने लाठी चलाकर भीड़ को खदेड़ दिया।

अलवर में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि अरावली राजस्थान के फेफड़ों के समान है। सरकार इस फैसले से अरावली को खत्म करना चाहती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो कांग्रेस प्रदेशभर में उग्र आंदोलन करेगी। जूली ने कहा कि यह अब केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि जन आंदोलन बन चुका है। सीकर में पर्यावरण प्रेमी पवन ढाका ने कहा कि यदि किसी इंसान का घर तोड़ दिया जाए तो वह कहीं न कहीं ठिकाना बना लेता है, लेकिन अरावली खत्म होने पर यहां रहने वाले लाखों जीव-जंतु कहां जाएंगे। अरावली के कारण ही राजस्थान में मानसून आता है, यदि यह पर्वतमाला नहीं रही तो पूरा प्रदेश रेगिस्तान में तब्दील हो सकता है। इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि अरावली पूरी तरह सुरक्षित है। सुप्रीम कोर्ट की परिभाषा कोई नई नहीं है और इससे 90 प्रतिशत से अधिक अरावली क्षेत्र संरक्षित रहेगा। उन्होंने कहा कि अवैध खनन पर रोक और पर्यावरण संरक्षण सरकार की प्राथमिकता है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोहित

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